top of page
Search
Writer's picturesardardhirendrasingh111

20th February | Current Affairs | MB Books


1. 20 फरवरी : विश्व सामाजिक न्याय दिवस

20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसका उद्देश्य निर्धनता, बेरोज़गारी तथा परित्याग की समस्या का सामना करना है। इस वर्ष विश्व सामाजिक न्याय की थीम “डिजिटल अर्थव्यवस्था में सामाजिक न्याय के लिए आवाहन” (A Call for Social Justice in the Digital Economy) है।

मुख्य बिंदु :सामाजिक न्याय के लिए लैंगिक समानता, सामाजिक सुरक्षा तथा प्रवासियों के अधिकारों की सुरक्षा की जानी आवश्यक है। सामाजिक न्याय तभी सुनिश्चित हो सकता है जब लोगों को लिंग, आयु, नस्ल, धर्म अथवा संस्कृति के कारण समस्याओं का सामना न करना पड़े।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 26 नवम्बर, 2007 को 20 फरवरी को प्रतिवर्ष विश्व सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाये जाने को मंज़ूरी दी। पहली बार 2009 में विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया गया।

पृष्ठभूमि : अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने सर्वसम्मति से 10 जून 2008 को एक निष्पक्ष वैश्वीकरण के लिए सामाजिक न्याय पर ILO घोषणा को अपनाया था। यह 1919 के ILO के संविधान के बाद से अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन द्वारा अपनाए गए सिद्धांतों और नीतियों का तीसरा प्रमुख बयान है।


2. पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत-ऑस्ट्रेलिया सर्कुलर इकोनॉमी हैकाथॉन (I-ACE) को संबोधित किया

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 फरवरी, 2021 को भारत-ऑस्ट्रेलिया सर्कुलर इकॉनमी हैकथॉन (I-ACE) को संबोधित किया।

मुख्य बिंदु : हैकाथॉन के दौरान, नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के उपभोग पैटर्न को देखने की जरूरत है।

भारत को यह भी देखना होगा कि पारिस्थितिक प्रभाव को कैसे कम किया जाए।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि उपभोग पैटर्न के संबंध में कई चुनौतियों को हल करने के लिए परिपत्र अर्थव्यवस्था एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि रीसाइक्लिंग और पुन: उपयोग पर अधिक फोकस किया जाना चाहिए और कचरे को नष्ट करना तथा संसाधन दक्षता को जीवन शैली का एक हिस्सा बनाना चाहिए।

इस हैकाथॉन के दौरान, छात्रों के 72 टीमों और स्टार्ट-अप्स के 200 प्रतिभागियों द्वारा अपशिष्ट न्यूनीकरण समाधान प्रदान किए गए थे।

भारत-ऑस्ट्रेलिया सर्कुलर इकोनॉमी हैकाथॉन (I-ACE) : इंडिया ऑस्ट्रेलिया सर्कुलर इकोनॉमी हैकथॉन को नीति आयोग अटल इनोवेशन मिशन (AIM) द्वारा लॉन्च किया गया था। इस हैकथॉन को ऑस्ट्रेलिया के कॉमनवेल्थ वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संगठन (CSIRO) के सहयोग से लॉन्च किया गया था। यह दोनों देशों के छात्रों, एमएसएमई और स्टार्ट-अप द्वारा प्रदान की गई नवीन प्रौद्योगिकी समाधानों की पहचान और विकास पर केंद्रित है। यह एक स्थायी परिपत्र अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने में मदद करेगा। यह हैकाथॉन दीर्घकालिक स्वास्थ्य और लचीलापन बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।

I-ACE के विषय : I-ACE का आयोजन चार प्रमुख विषयों के तहत किया गया था:

  • कचरे से बचने के लिए खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं में नवाचार।

  • पैकेजिंग कचरे को कम करने में पैकेजिंग में नवाचार।

  • प्लास्टिक कचरे को कम करने के अवसर पैदा करना।

  • महत्वपूर्ण ऊर्जा धातुओं और ई-कचरे का पुनर्चक्रण।

परिपत्र अर्थव्यवस्था : यह एक आर्थिक प्रणाली है जिसका उद्देश्य कचरे को कम करना है और पुनःउपयोग को बढ़ावा देना है। यह प्रणाली पुन: उपयोग, मरम्मत, साझाकरण, नवीनीकरण, पुन: निर्माण और पुनर्चक्रण पर फोकस करती है। यह प्रदूषण, अपशिष्ट और कार्बन उत्सर्जन को भी कम करती है।


3. 20 फरवरी : अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम का स्थापना दिवस

20 फरवरी को अरुणाचल प्रदेश तथा मिजोरम का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश तथा मिजोरम के लोगों को शुभकामनाएं दीं।

संक्षिप्त इतिहास :

मिजोरम : मिजोरम की स्थापना के साथ मिज़ो नेशनल फ्रंट के संघर्ष का समापन हुआ, मिज़ो नेशनल फ्रंट की स्थापना 1961 में की गयी थी। इस संगठन ने ग्रेटर मिजोरम की स्वायत्त स्वतंत्रता की मांग के लिए हथियार उठाये और आइजोल, लुंगलेई, चान्गते, छिम्लुंग इत्यादि स्थानों में सरकारी संस्थानों को निशाना बनाया। भारत सरकार ने 1967 में मिज़ो नेशनल फ्रंट पर प्रतिबन्ध लगाया। इससे MNF के नेतृत्व में संघर्ष और भी तीव्र हुआ। 1972 में मिजोरम को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया, परन्तु प्रदर्शनकारी इससे शांत नहीं हुए।

30 जून, 1986 को मिज़ो नेशनल फ्रंट तथा भारत सरकार ने समझौते पर हस्ताक्षर किये। इसके पश्चात् मिज़ो नेशनल फ्रंट ने हिंसा का मार्ग त्याग दिया और शीघ्र ही मिजोरम को भारत का पूर्ण राज्य बनाया गया। इसके इए मिजोरम राज्य अधिनियम, 1986 पारित किया गया था।

अरुणाचल प्रदेश : शुरू में असम का नियंत्रण असम की प्रांतीय सरकार के गवर्नर के पास था। संविधान लागू होने के बाद नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) का कार्यभार असम के राज्यपाल को सौंपा गया। बाद में NEFA का नाम बदलकर अरुणाचल प्रदेश कर दिया गया। 1972 में अरुणाचल प्रदेश केंद्र शासित प्रदेश बना। 1975 में अरुणाचल प्रदेश परिषद् को अस्थायी विधानसभा में परिवर्तित किया गया तथा इसमें अरुणाचल प्रदेश के लिए मंत्रिपरिषद का गठन किया गया। 20 फरवरी, 1987 को अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया, इसके लिए संविधान में 55वां संशोधन किया गया था।


4. FAITH ने किया तीसरे ‘इंडिया टूरिज्म मार्ट’ का आयोजन

तीसरे इंडिया टूरिज्म मार्ट का आयोजन 18 फरवरी, 2021 को किया गया। इसे केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने संबोधित किया था। इस इवेंट का आयोजन Federation of Associations in India Tourism and Hospitality (FAITH) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया।

मुख्य बिंदु :

  • इस कार्यक्रम में लगभग 60 देशों के 250 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।

  • यह 18 फरवरी, 2021 से 20 फरवरी, 2021 तक आयोजित किया जाएगा।

  • इस कार्यक्रम में दुनिया के खरीदारों और भारत के प्रदर्शकों का मिश्रण होगा।

  • यह कई खरीदारों और प्रदर्शकों से जुड़ने के लिए मंच प्रदान करेगा।

  • तीसरा भारत पर्यटन मार्ट महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक ऐसे समय में आयोजित किया जा रहा है जब दुनिया COVID-19 महामारी के प्रभाव से उभर रही है।

  • यह इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि देश अब सभी स्वास्थ्य और सुरक्षा सावधानियों के उपायों के साथ यात्रा को खोलने पर विचार कर रहे हैं।

Federation of Associations in Indian Tourism & Hospitality (FAITH) : यह सभी राष्ट्रीय संघों का नीति महासंघ है। यह भारत के संपूर्ण पर्यटन, यात्रा और आतिथ्य उद्योग का प्रतिनिधित्व करता है। इसे वर्ष 2013 में लॉन्च किया गया था। जब FAITH की स्थापना की गई थी तो उस समय भारतीय पर्यटन विश्व आर्थिक फोरम पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में 68वें स्थान पर था। इसके बाद, FAITH ने पर्यटन मंत्रालय के साथ मिलकर कई पहलों पर काम किया। इस प्रकार, वर्ष 2019 में, भारत विश्व आर्थिक फोरम पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में 34वें स्थान पर था।


5. NHAI ने 100 प्रतिशत कैशलेस टोल कलेक्शन हासिल किया

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने पूरे देश में राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क प्लाजा पर 100 प्रतिशत कैशलेस टोल संग्रह सफलतापूर्वक प्राप्त किया है।

मुख्य बिंदु :राष्ट्रीय राजमार्गों पर फी प्लाजा के सभी लेन को 16 फरवरी, 2021 से फास्टैग लेन के रूप में घोषित किया गया है।

100 प्रतिशत कैशलेस टोलिंग को हाइवे यूजर्स द्वारा सकारात्मक रूप से लिया जा रहा है।

जब से फास्टैग मानदंड को अधिसूचित किया गया है, 2,50,000 से अधिक टैग बेचे गए हैं।

एक ही दिन में, कुल 60 लाख लेनदेन किए गए, जिसके परिणामस्वरूप FASTag के माध्यम से 95 करोड़ रुपये का टोल संग्रह हुआ।

देश में अब तक फास्टैग की कुल पैठ 87 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

16 फरवरी से 7 प्रतिशत पैठ में वृद्धि हुई थी।

सरकार राजमार्ग उपयोगकर्ताओं द्वारा FASTag को अपनाने की सुविधा के लिए एक मुफ्त FASTag की भी सुविधा प्रदान कर रही है।यह मुफ्त अभियान 1 मार्च तक चलेगा।

FASTag क्या है? : FASTag इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रहण प्रणाली है, इसका संचालन राष्ट्रीय उच्चमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा किया जा रहा है। FASTag के द्वारा टोल प्लाजा में रुके बिना ही व्यक्ति के खाते से टोल चार्ज अपने आप कट जायेगा, अब टोल कर अदा करने के लिए गाड़ी रोकने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी।

FASTag एक प्रीपेड अकाउंट से जुड़े हुए होते हैं, इसके द्वारा टोल प्लाजा से गुजरते हुए व्यक्ति के खाते से टोल अपने आप ही कट जायेगा। FASTag के लिए रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है।

FASTag की विशेषताएं :

  • FASTag को ग्राहक अपनी पसंद के बैंक खाते से लिंक कर सकते हैं।

  • इससे ग्राहकों को काफी सुविधा होगी।

  • FASTag एप्प की सहायता से किसी भी FASTag को रिचार्ज किया जा सकता है।

  • बाद में FASTag का उपयोग पेट्रोल पंप पर इंधन को खरीदने के लिए भी किया जा सकता है।

रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी (RFID) : रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड का उपयोग करती है, यह उन टैग्स को डिटेक्ट करती है जिनमे इलेक्ट्रानिकली सूचना स्टोर की जाती है।

एक द्वि-मार्गीय रेडियो ट्रांसमीटर-रिसीवर टैग के लिए सिग्नल भेजता है तथा उसकी प्रतिक्रिया का अध्ययन करता है। RFID रीडर टैग के लिए एक एनकोडेड रेडियो सिग्नल भेजता है। टैग इस सिग्नल को रिसीव करता है तथा अपनी पहचान के साथ कुछ और सूचना को वापस भेजता है।


6. सड़क परिवहन मंत्रालय ने ‘गो इलेक्ट्रिक अभियान’ लांच किया

केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 19 फरवरी, 2021 को ‘गो इलेक्ट्रिक अभियान’ लांच किया।

मुख्य बिंदु :

  • इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के लाभों के संबंध में जागरूकता फैलाने के लिए यह अभियान शुरू किया गया था।

  • इस अभियान से पूरे भारत में ई-मोबिलिटी और इलेक्ट्रिक कुकिंग के बारे में जागरूकता बढ़ेगी।

  • गो इलेक्ट्रिक अभियान भारत का भविष्य है।यह देश में पर्यावरण के अनुकूल, लागत प्रभावी और स्वदेशी इलेक्ट्रिक उत्पादों को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

  • इस अभियान को लांच करते हुए उर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने यह भी कहा कि यह ऊर्जा परिवर्तन समय की आवश्यकता है ताकि आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम किया जा सके।मंत्री ने लोगों से बिजली के उपकरणों को अपनाने का भी आग्रह किया।

‘गो इलेक्ट्रिक’ अभियान : आगामी वर्षों में भारत के जीवाश्म ईंधन आयात निर्भरता को कम करने में भारत की मदद करने के उद्देश्य से ‘गो इलेक्ट्रिक’ अभियान शुरू किया गया है। यह अभियान एक हरित और स्वच्छ भविष्य की दिशा में एक कदम है। इस अभियान का उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता पैदा करना है। उम्मीद है कि इस अभियान से इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं का विश्वास भी बढ़ेगा।

‘गो इलेक्ट्रिक‘ अभियान का लोगो : गो इलेक्ट्रिक अभियान के लॉन्च में ‘गो इलेक्ट्रिक’ के लोगो को भी लॉन्च किया गया। इस अभियान के लिए लोगो में ई-गतिशीलता पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को दर्शाया गया है। इसके अलावा, उद्योग के खिलाड़ियों ने प्रदर्शनी का आयोजन किया, जिसमें विभिन्न इलेक्ट्रिक वाहन जैसे ई-बस, ई-कार, 2-व्हीलर्स, 3-व्हीलर्स प्रदर्शित किए गए।

भारत में इलेक्ट्रिक ईंधन : इलेक्ट्रिक ईंधन जीवाश्म ईंधन के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प है। क्योंकि यह जीवाश्म ईंधन के आयात पर भारत के आयात बिल को कम करने में मदद करेगा। भारत का आयात बिल 8 लाख करोड़ रुपये है। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक ईंधन उत्सर्जन को कम करता है और जीवाश्म ईंधन की तुलना में इसकी लागत कम होती है।


7. नासा का ‘परसेवेरांस’ रोवर मंगल ग्रह पर उतरा

नासा का विज्ञान रोवर ‘परसेवेरांस’ 18 फरवरी, 2021 को मंगल ग्रह पर उतरा। यह रोवर सबसे उन्नत एस्ट्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला है। यह सबसे पहले ग्रह पर प्राचीन माइक्रोबियल जीवन के निशान खोजेगा।

मुख्य बिंदु :

  • इस रोवर अंतरिक्ष में लगभग सात महीने तक यात्रा की।

  • इसने मंगल के वातावरण में प्रवेश करने से पहले 293 मिलियन मील या 472 मिलियन किमी की दूरी तय की।

  • इसने 12,000 मील प्रति घंटे या 19,000 किमी प्रति घंटे की गति से मंगल ग्रह में प्रवेश किया।

  • यह परियोजना $2.7 बिलियन की है।

मार्स 2020 मिशन : यह नासा के मार्स एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम द्वारा निर्मित मार्स रोवर है। इसमें ‘परसेवेरांस’ रोवर और एक ‘इन्जेयूटी’ हेलीकाप्टर ड्रोन शामिल हैं। मिशन को 30 जुलाई, 2020 को पृथ्वी से एटलस वी 541 लॉन्च व्हीकल पर लॉन्च किया गया था। इस मिशन की घोषणा नासा ने दिसंबर 2012 में सैन फ्रांसिस्को में अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन की बैठक के दौरान की थी।

परसेवेरांस रोवर (Perseverance Rover) : रोवर ग्रह पर खगोलीय-जैविक वातावरण से जुड़ी खोज करेगा। यह मंगल की सतह की भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं और इतिहास पर भी फोकस करेगा। इस रोवर का डिज़ाइन क्यूरियोसिटी रोवर से प्रभावित है। इसमें 19 कैमरे और दो माइक्रोफोन शामिल हैं। इस प्रकार, यह मंगल ग्रह के पर्यावरण के ऑडियो को भी रिकॉर्ड करेगा।


8. डीआरडीओ ने किया हेलिना मिसाइल का सफल परीक्षण

पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान द्वारा आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिशों और चीन के साथ सीमा विवाद के बीच रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के हवाले से एक महत्वपूर्ण खबर आयी है। डीआरडीओं को अपनी हेलिना एंटी-टैंक मिसाइल को एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) ध्रुव हेलीकॉप्टर से लॉन्च करने में सफलता मिली है। इस सफल परीक्षण को भारत की रक्षा ताकत के लिए महत्व्पूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह आसमान से भी दुश्मन के टैंकों पर सटीक निशाना लगाने में सक्षम है। हेलि‍ना तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक मिसाइल है। आठ हेलिना मिसाइलों को हेलीकॉप्टर पर एकीकृत किया जा सकता है। यह दिन हो या रात, किसी भी समय अपने लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। यह परंपरागत हथियारों के साथ-साथ विस्‍फोटक, रिएक्टिव हथियारों के साथ युद्धक टैंकों को नष्‍ट करने में सक्षम है। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि राजस्थान के पोखरण में किए गए इस परीक्षण में हेलिना मिसाइल अपने लक्ष्य को भेदने में 100 प्रतिशत सफल साबित हुई है। हेलिना एंटी-टैंक मिसाइल का परीक्षण 7 किलोमीटर के न्यूनतम और अधिकतम रेंज में मिसाइल की क्षमता को आंकने के लिए किया गया है। न्यूनतम और अधिकतम रेंज में मिसाइल क्षमताओं के मूल्यांकन के लिए पांच मिशन संचालित किए गए। मिसाइलों को यथार्थवादी, स्थिर और चलते हुए लक्ष्यों के खिलाफ होवर और मैक्स फॉरवर्ड फ्लाइट में फायर किया गया। न्यूनतम और अधिकतम रेंज में मिसाइल क्षमताओं के मूल्यांकन के लिए चार मिशन अंजाम दिए गए हैं। जबकि, एक मिशन युद्धक मिसाइल के साथ पुराने टैंक के खिलाफ था। रक्षा मंत्रालय के वक्तव्य में बताया गया है कि इस मिशन के उद्देश्यों को पूरा कर लिया गया है। हेलिना टैंक-रोधी मिसाइलों का परीक्षण भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना के संयुक्त यूजर परीक्षणों के दौरान किया गया। डीआरडीओ ने ट्वीट कर कहा है कि 'हेलिना (आर्मी वर्जन) और ध्रुवास्त्र (एयरफोर्स वर्जन) के लिए ज्वाइंट यूजर ट्रायल एडवांस्‍ड लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) प्लेटफॉर्म से रेगिस्तानी रेंज में किया गया।' यह परीक्षण भारतीय सेना और वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों का हिस्सा है। यह मिसाइल पूरी तरह से स्वदेशी है। इसे डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है। सफल परीक्षण के बाद अब यह मिसाइल भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार है। डीआरडीओ के प्रमुख डॉ जी. सतीश रेड्डी ने इस मिसाइल के परीक्षण से जुड़ी टीम को इस सफलता पर बधाई दी है।


9. इज़राइल ने अमेरिका के साथ मिसाइल रोधी एरो-4 सिस्टम का विकास शुरू किया

इज़राइल ने 18 फरवरी, 2021 में घोषणा की है कि वह अमेरिका के सहयोग से “एरो -4” नामक एक नई बैलिस्टिक मिसाइल शील्ड विकसित कर रहा है। इस मिसाइल को रक्षात्मक प्रणाली में एक और परत के रूप में विकसित किया जा रहा है।

मुख्य बिंदु :

  • इजरायल के एरो-2 और एरो-3 इंटरसेप्टर पहले से ही बहुस्तरीय प्रणाली के तहत चालू हैं।

  • यह प्रणाली वायुमंडल और अंतरिक्ष में आने वाली मिसाइलों को नष्ट कर सकती है।

  • अमेरिका के सहयोग से एरो-4 के विकास के परिणामस्वरूप तकनीकी और परिचालन में और बेहतरी आएगी।

  • यह देशों को भविष्य के युद्ध के मैदान के खतरों के लिए तैयार करेगी।

एरो या हेट्ज़ : यह एंटी-बैलिस्टिक मिसाइलों का परिवार है। यह सतह से हवा में मार करने वाली अन्य मिसाइलों की तुलना में इजरायली मिसाइल रक्षा प्रणाली को बैलिस्टिक मिसाइलों के मुकाबले अधिक प्रभावी बनाने के लिए तैयार किया गया है। इन मिसाइलों को संयुक्त रूप से इज़राइल और अमेरिका द्वारा उत्पादित किया जा रहा है। इन मिसाइलों का विकास वर्ष 1986 में शुरू हुआ था। इस मिसाइल प्रणाली की देखरेख इजरायली रक्षा मंत्रालय और अमेरिकी मिसाइल रक्षा एजेंसी करती है।

बैलिस्टिक मिसाइल : यह मिसाइल एक या एक से अधिक वॉरहेड वितरित करने के लिए एक बैलिस्टिक प्रक्षेपवक्र का अनुसरण करती है। इन मिसाइलों को अपेक्षाकृत संक्षिप्त अवधि के लिए निर्देशित किया जाता है।


10. हैदराबाद को ‘2020 Tree City of the World’ के रूप में मान्यता दी गयी

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) और आर्बर डे फाउंडेशन ने हाल ही में हैदराबाद को ‘2020 ट्री सिटी ऑफ द वर्ल्ड’ के रूप में मान्यता दी है। हैदराबाद को शहरी जंगलों को विकसित करने और बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता के बाद चुना गया।

मुख्य बिंदु :

  • यह मान्यता शहर के वृक्षारोपण, पेड़-पौधों के विकास के लिए निरंतर और संस्थागत प्रयासों के लिए एक साक्ष्य है।

  • यह शहरी और अर्ध-शहरी वानिकी कार्यों, परियोजनाओं के अलावा रणनीतिक योजना और स्वस्थ शहर के निर्माण की प्रतिबद्धता के विकास को भी चिह्नित करता है।

  • संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त अन्य शहरों में 63 देशों के 120 शहर शामिल हैं। अधिकांश शहर अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के हैं।

  • इस मान्यता के बाद, हैदराबाद समान विचारधारा वाले शहरों में शामिल हो जाएगा जो पेड़ों के महत्व को पहचानते हैं।

संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) : यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है। एफएओ भूखमरी को हराने और पोषण सुरक्षा में सुधार के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करता है। इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र द्वारा अक्टूबर 1945 में की गई थी। इसका मुख्यालय इटली के रोम में है। 130 देशों में इसके क्षेत्रीय कार्यालय हैं। FAO कृषि, मत्स्य पालन, वानिकी, भूमि संसाधनों और जल संसाधनों में सुधार और विकास के लिए सरकारों और विकास एजेंसियों के साथ समन्वय करता है। इसमें 197 सदस्य राष्ट्र शामिल हैं।

आर्बर डे फाउंडेशन (Arbor Day Foundation) : यह एक गैर-लाभकारी संरक्षण और शिक्षा संगठन है। इसकी स्थापना वर्ष 1972 में अमेरिका के नेब्रास्का में जॉन रोसेनो द्वारा की गई थी। यह संगठन सबसे बड़ा गैर-लाभकारी सदस्यता संगठन है जो वृक्षारोपण के लिए समर्पित है। यह “लोगों को पौधे लगाने, देखभाल करने के लिए प्रेरित करने” के कॉर्पोरेट मिशन के साथ काम करता है। डैन लाम्बे इस फाउंडेशन के वर्तमान अध्यक्ष हैं।


11. मनिका बत्रा ने राष्ट्रीय टेबल टेनिस खिताब जीता

मनिका बत्रा ने 82वीं सीनियर नेशनल टेबल टेनिस चैम्पियनशिप जीती है। उन्होंने पंचकुला में ताऊ देवी लाल खेल परिसर में रीथ रिशिया को 8-11, 10-12, 11-1, 11-9, 11-5, 11-6 से हराया।

मुख्य बिंदु : मनिका बत्रा अब दो डब्ल्यूटीटी कंटेंडर इवेंट में प्रतिस्पर्धा करेंगी जो 28 फरवरी से शुरू होगा।

इसके बाद वे दोहा में विश्व ओलंपिक क्वालीफायर और एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर भाग लेंगी।

मनिका बत्रा : वह एक भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं। वह दुनिया में 63वें स्थान पर हैं। 2020 में, उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भी मिला था।

उपलब्धियां :

  • उन्होंने 2011 में चिली ओपन के अंडर-21 वर्ग में रजत पदक जीता था।

  • उन्होंने ग्लासगो में 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

  • उन्होंने 2014 एशियाई खेलों में भी भाग लिया था।

  • 2015 में, उन्होंने कॉमनवेल्थ टेबल टेनिस चैंपियनशिप में तीन पदक जीते।

  • 2018 में वह एकमात्र भारतीय थीं जिन्हें ITTF से “द ब्रेकथ्रू स्टार अवार्ड” मिला।

भारत में टेबल टेनिस : यह देश में एक लोकप्रिय इनडोर मनोरंजन खेल है। यह ज्यादातर पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात राज्यों में खेला जाता है। टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया इस खेल का आधिकारिक खेल निकाय है। भारत की पुरुषों की टीम दुनिया में 10वें स्थान पर है जबकि महिला टीम 2019 तक 22वें स्थान पर थी।


12. प्रधान मंत्री मोदी ने किया केरल में प्रमुख बिजली परियोजनाओं का उद्घाटन

प्रधानमंत्री मोदी ने 19 फरवरी, 2021 को केरल में शाम 4.30 बजे बिजली और शहरी क्षेत्र की प्रमुख परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन भी, आवास एवं शहरी मामले, बिजली तथा नई एवं नवीकरणीय ऊर्जा के केंद्रीय राज्य मंत्रियों के साथ इस उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान मौजूद थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए विश्वभारती के दीक्षांत समारोह को भी संबोधित किया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और विश्व भारती के रेक्टर जगदीप धनखड़ भी उपस्थित थे।

त्रिशूर (केरल) विद्युत पारेषण परियोजना : 320 केवी पुगलुर (तमिलनाडु) का शुभारंभ

• यह परियोजना एक वोल्टेज स्रोत कनवर्टर है जो हाई वोल्टेज डायरेक्ट करंट - HVDC परियोजना पर आधारित है। इसमें देश का पहला HVDC लिंक भी है, जिसमें अत्याधुनिक VSC तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। • इस परियोजना का निर्माण 5,070 करोड़ रूपये की लागत से विद्युत किया गया है। यह पश्चिमी क्षेत्र से 2000 मेगावाट की बिजली के हस्तांतरण में सुगमता लायेगा और केरल के नागरिकों के लिए लोड वृद्धि की जरूरत को पूरा करने में मदद करेगा। • प्रधानमंत्रीओ के अनुसार, VSC-आधारित प्रणाली में ओवरहेड लाइनों के साथ HVDC-XLPE केबल के एकीकरण की सुविधा है, जो मार्ग स्थान को भी बचाता है और पारंपरिक HVDC प्रणाली की तुलना में इस प्रणाली में 35-40% कम भूमि और लाइन का इस्तेमाल हुआ है।

50 मेगावाट कासरगोड सौर ऊर्जा परियोजना का शुभारंभ :

• प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन के तहत विकसित की गई इस बिजली परियोजना को राष्ट्र को समर्पित किया। • यह परियोजना 250 एकड़ से अधिक भूमि पर स्थापित की गई है जो केरल के कासरगोड जिले के मीनाजा, पाइवलिक और चिप्पार गांवों में फैली हुई है। • केंद्र सरकार द्वारा यह परियोजना लगभग 280 करोड़ रुपये के निवेश के साथ बनाई गई है।

प्रधानमंत्री ने तिरुवनंतपुरम में विभिन्न परियोजनाओं की आधारशिला रखी :

• तिरुवनंतपुरम में 94 करोड़ रुपये की लागत से एक एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र बनाया जाएगा। • स्मार्ट रोड परियोजनाएं 427 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर शुरू की जाएंगी। इसका उद्देश्य तिरुवनंतपुरम में मौजूदा सड़कों के 37 किमी को विश्व स्तरीय स्मार्ट सड़कों में परिवर्तित करना है। • प्रधानमंत्री मोदी ने अरुविकारा में 750 MLD जल शोधन संयंत्र का उद्घाटन भी किया। इसे AMRUT मिशन के तहत बनाया जाएगा


  • Source of Internet

9 views0 comments

Commentaires


bottom of page