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कोरोना संकटः स्टूडेंट्स की मेंटल हेल्थ दुरुस्त रखने के लिए यूजीसी ने बनाई ये रणनीति

कोर्स कैसे पूरा होगा? परीक्षाएं कब होंगी? ऑनलाइन होंगी या कॉलेज, यूनिवर्सिटीज में जाकर परीक्षा देनी होगी? सोशल डिस्टेंसिंह आखिर बरक

रार कैसे रखी जाएगी? उधर मां-बाप चिंतित हैं कि अगर बच्चों को कॉलेज जाकर परीक्षा देनी पड़ी तो संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है? डर तो इस बात का भी है कि मान लो सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing)के मानक पूरे करते हुए दूर-दूर सीटें लगवाकर परीक्षाएं हुईं भी तो एग्जामिनेशन पेपर और कॉपियों के जरिए संक्रमण फैल सकता है? स्कूलों की चिंताएं काफी हद तक दूर हो गई हैं. लेकिन ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, इंजीनियरिंग, मेडिकल या और भी इस तरह की पढ़ाई करने वाले बच्चों और उनके मां-बाप की चिंताएं कोरोना संक्रमण के दौर में दूनी हो गई हैं.

कोरना संक्रमण (corona infection) की खबरों ने वैसे ही चिंता और तनाव के स्तर के ग्राफ को बढ़ा दिया है, उसमें भी हायर स्टडी कर रहे बच्चों और उनके मां-बाप के दिमाग इन सारे सवालों से लगातार जूझ रहे हैं. ऐसे में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने ऑन लाइन क्लासेज, कोर्स मैटीरियल, स्टूडेंट- टीचर इंटरेक्शन, व्हाट्अऐप ग्रुप बनाने, दूरदर्शन पर एजुकेशन पोर्टल स्वयं के तहत आने वाले पाठ्यक्रम मुहैया करवाने के अलावा मेंटल हेल्थ को लेकर भी सभी निजी, सरकारी, डीम्ड यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों को दिशानिर्देश जारी किए हैं.

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी ) सेक्रेटरी, रजनीश जैन ने बताया, '' कोरोना संकट 2-4 महीनें में खत्म होगा ही. दुनिया फिर चलेगी. लेकिन छात्र-छात्राओं की सबसे बड़ी उलझन यह है कि कहीं यह 3-4 महीने उन्हें एक सेशन पीछे न कर दें? या उनके पाठ्यक्रम अधूरे न रह जाएं?


यह समय उनके करियर की गाड़ी को कहीं पीछे न धकेल दे? दूसरी तरफ मां-बाप की सबसे बड़ी चिंता यह है कि लॉकडाउन के बाद बच्चों को परीक्षा देने के लिए सेंटर में सोशल डिस्टेंसिंह कैसे मेंटेन की जाएगी? सभी चिंताएं जायज हैं. ''

रजनीश जैन कहते हैं कि यूजीसी लगातार छात्र-छात्राओं के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सजग है. हमने अप्रैल के पहले हफ्ते में ही एक गाइडलाइन यूनिवर्सिटीज और कॉलेज को जारी की थी.

इस गाइडलाइन में कई तरह के सुझाव दिए गए थे जिससे टीचर और छात्र-छात्राएं आपस में संपर्क में रहें. मेंटल हेल्थ के कुछ विडियोज भी साझा किए गए हैं. साथ ही उनके पाठ्यक्रम के अलावा उनकी मानसिक समस्याओं पर भी उनकी काउंसलिंग की जाए.

...ताकि छात्र-छात्राओं और मां-बाप चिंता और तनाव से रहें मुक्त

यूनिवर्सिटीज और कॉलेज को जारी दिशा निर्देश में मेंटल हेल्थ से जुडे़ कुछ उपाय सुझाए गए हैं.

1-सभी यूनिवर्सिटीज और कॉलेज एक हेल्पलाइन नंबर जारी करें.

2-छात्र-छात्राओं से लगातार फैकल्टी मेंबर और कॉलेज-यूनिवर्सिटी में नियुक्त काउंसिलर इ-मेल, सोशल मीडिय या फोन के जरिए कनेक्ट रहें. न केवल उनकी समस्याओं का निदान करें बल्कि पहल कर खुद बच्चों से संपर्क स्थापित करें.

3-स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से छात्र-छात्राओं के लिए जारी किए गए मेंटल हेल्थ वीडियोज साझा किए जाएं. सोशल मीडिया, व्हाट्सऐप ग्रुप या फिर इ-मेल के जरिए.

4-एक टॉल फ्री नंबर 0804611007 भी यूजीसी ने जारी किया है

5-कुछ स्टुडेंस्ट्स के ग्रुप बनाए गए हैं जिससे वे आपस में संपर्क में रहें. अकेलापन उनमें हावी न हो.

6-मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट के कुछ लिंक भी सभी यूनिवर्सिटीज और कॉलेज के साथ साझा किए हैं.

रजनीश जैन कहते हैं, '' केवल नंबर या फिर लिंक शेयर करने तक ही इसे सीमित नहीं रखा गया है बल्कि लगातार बच्चों की मॉनिटरिंग करने के निर्देश फैकल्टीज को दिए गए हैं.

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