भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 3.43 बिलियन डॉलर की वृद्धि के साथ 493.48 अरब डॉलर पर पहुंचा
29 मई, 2020 को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 3.43 बिलियन डॉलर की वृद्धि के साथ 493.48 अरब डॉलर तक पहुँच गया है। विश्व में सर्वाधिक विदेशी मुद्रा भंडार वाले देशों की सूची में भारत 5वें स्थान पर है, इस सूची में चीन पहले स्थान पर है।
विदेशी मुद्रा भंडार
इसे फोरेक्स रिज़र्व या आरक्षित निधियों का भंडार भी कहा जाता है भुगतान संतुलन में विदेशी मुद्रा भंडारों को आरक्षित परिसंपत्तियाँ’ कहा जाता है तथा ये पूंजी खाते में होते हैं। ये किसी देश की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति का एक महत्त्वपूर्ण भाग हैं। इसमें केवल विदेशी रुपये, विदेशी बैंकों की जमाओं, विदेशी ट्रेज़री बिल और अल्पकालिक अथवा दीर्घकालिक सरकारी परिसंपत्तियों को शामिल किया जाना चाहिये परन्तु इसमें विशेष आहरण अधिकारों , सोने के भंडारों और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की भंडार अवस्थितियों को शामिल किया जाता है। इसे आधिकारिक अंतर्राष्ट्रीय भंडार अथवा अंतर्राष्ट्रीय भंडार की संज्ञा देना अधिक उचित है।
बीएस VI वाहनों के लिए अलग-अलग कलर बैंड जारी किये गये
8 जून, 2020 को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने BS VI वाहनों के नंबर प्लेट स्टिकर के लिए अलग कलर बैंड जारी किये ।
मुख्य बिंदु
यह आदेश बीएस VI वाहनों के लिए मौजूदा स्टीकर के उपर 1 से.मी. चौड़ाई की एक हरी पट्टी लगाना अनिवार्य बनाता है। स्टिकर में बीएस-VI वाहन के पंजीकरण और उसके ईंधन प्रकार विवरण होना चाहिए। पेट्रोल ईंधन वाहनों के स्टीकर में नारंगी रंग होना चाहिए और डीजल ईंधन वाहनों के स्टीकर में नीला रंग होना चाहिए।
भारत स्टेज उत्सर्जन मानक (Bharat Stage Emission Standards)
यह भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया उत्सर्जन मानक है, यह यूरोपियन रेगुलेशन पर आधारित है। इसका उद्देश्य वाहनों द्वारा उत्सर्जित किये जाने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करना है। भारत स्टेज के मानक व समय सीमा केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निश्चित की जाती है। यह मानक देश में पहली बार वर्ष 2000 में शुरू किये गए थे। देश में नए वाहनों का निर्माण इन मानकों के आधार पर ही किया जाता है। अक्टूबर 2010 में भारत स्टेज III मानक पूरे देश में लागू किये गए थे, अप्रैल 2017 से पूरे देश में BS-IV पूरे देश में लागू किया गया। 2016 में सरकार ने घोषणा की थी देश में BS-V लागू नहीं होगा, इसके स्थान पर BS-VI ही लागू किया जायेगा। भारत सरकार की योजना 2020 से BS-VI मानक लागू करने की है।
ARPIT: भारतीय वायु सेना द्वारा पृथक परिवहन के लिए एयरबोर्न रेस्क्यू पॉड विकसित किया गया
भारतीय वायु सेना ने हाल ही में पृथक परिवहन के लिए एयरबोर्न रेस्क्यू पॉड (ARPIT – Airborne Rescue Pod for Isolated Transportation) विकसित किया है। इसका उपयोग COVID-19 से पीड़ित गंभीर रोगियों के परिवहन के लिए किया जायेगा।
मुख्य बिंदु
भारतीय वायु सेना ने एक हवाई निकासी प्रणाली की आवश्यकता की पहचान की जो हवाई यात्रा के दौरान COVID-19 रोगियों से संक्रामक एरोसोल के प्रसार को रोक देगी। इसे अब ARPIT ने पूरा किया है।
भारतीय वायु सेना ने ARPIT को विकसित करने के लिए स्वदेशी सामग्रियों का उपयोग किया है। यह मेक इन इंडिया पहल को बढ़ाने के इरादे से किया गया है। वायुसेना ने इस प्रणाली को विकसित करने के लिए 60,000 रुपये खर्च किए हैं। प्रणाली हल्के वजन की है क्योंकि यह विमानन प्रमाणित सामग्री से बनाई गई है।
ARPIT
ARPIT वायरस को नष्ट करने के लिए अल्ट्रा वायलेट सी रेडिएशन का उपयोग करता है। तीय वायु सेना अब तक 7 एआरपीआईटी को शामिल कर रही है।
मिशन सागर: आईएनएस केसरी सेशेल्स में पहुंचा
भारतीय नौसेना का जहाज केसरी ‘मिशन सागर’ के तहत COVID-19 संबंधित दवाएं प्रदान करने के लिए सेशेल्स में पोर्ट विक्टोरिया पर पहुंच गया है।
मुख्य बिंदु
COVID-19 संबंधित आवश्यक दवाएं प्रदान करने के लिए भारतीय नौसेना द्वारा ‘मिशन सागर’ लांच किया गया था। इस मिशन के तहत भारत सरकार COVID-19 से निपटने के लिए विदेशों में सहायता प्रदान कर रही है।
मिशन सागर
भारत ने दक्षिणी हिंद महासागर में देशों को खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने के लिए मई, 2020 में ‘मिशन सागर’ लॉन्च किया था। पहल के एक हिस्से के रूप में मालदीव, मॉरीशस, मेडागास्कर, कोमोरोस और सेशेल्स को आवश्यक आपूर्ति की जानी थी।
इस मिशन ने एचसीक्यू टैबलेट, चिकित्सा सहायता और विशेष आयुर्वेदिक दवाओं की भी आपूर्ति की। इस मिशन के तहत भारत ने मालदीव, मॉरीशस, मेडागास्कर, कोमोरोस और सेशेल्स को आयुर्वेदिक दवाओं और COVID-19 संबंधित दवाओं को की आपूर्ति की। यह मिशन पीएम मोदी के ‘सागर’ दृष्टिकोण से प्रेरित था।
सागर (SAGAR)
SAGAR का पूर्ण स्वरुप Security and Growth for All in the Region है।
जावेद अख्तर : रिचर्ड डॉकिन्स पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय
भारतीय कवि व लेखक जावेद अख्तर 2020 के लिए प्रतिष्ठित रिचर्ड डॉकिंस पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। इस पुरस्कार का नाम अंग्रेजी विकासवादी जीवविज्ञानी रिचर्ड डॉकिंस के नाम पर रखा गया है। यह विज्ञान, शिक्षा या मनोरंजन के क्षेत्रों के उन लोगों को प्रदान किया जाता है, जो सार्वजनिक रूप से धर्मनिरपेक्षता, तर्कसंगतता और वैज्ञानिक सत्य को बढ़ावा देते हैं। इस पुरस्कार का पहला संस्करण वर्ष 2003 में प्रदान किया गया था।
जावेद अख्तर
जावेद अख्तर भारतीय फिल्म उद्योग में एक प्रसिद्ध गीतकार हैं। उन्हें 1999 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म भूषण भी जीता है। उल्लेखनीय है कि जावेद अख्तर ने सोशल मीडिया, साहित्यिक आयोजनों और नागरिकता संशोधन अधिनियम, सार्वजनिक नीति, लॉकडाउन के बाद शराब की दुकानों को फिर से खोलने, समाज में साम्यवाद आदि मुद्दों पर अपनी मुखर राय व्यक्त की है।
रिचर्ड डॉकिन्स पुरस्कार
यह पुरस्कार एथीस्ट अलायन्स ऑफ़ अमेरिका (एक एनजीओ) द्वारा प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार उन प्रतिष्ठित व्यक्तियों को प्रदान किए जाते हैं जो विज्ञान, शिक्षा या पर्यावरण की सम्बंधित हैं और तर्कसंगतता, धर्मनिरपेक्षता के वैज्ञानिक सत्य को बनाए रखने के मूल्यों के लिए कार्य करते हैं।
रिचर्ड डॉकिंस एक नैतिकतावादी, लेखक और एक विकासवादी जीवविज्ञानी हैं। एथीस्ट अलायन्स इंटरनेशनल एक गैर-लाभकारी संगठन है जो जागरूकता पैदा करता है और नास्तिकता के बारे में लोगों को शिक्षित करता है।
भारत में पहला इन्टरनेट-नियंत्रित रोबोट बनाया गया
ठाणे के एक इंजीनियर ने एक इंटरनेट-नियंत्रित रोबोट विकसित किया है। यह रोबोट COVID-19 रोगियों के इलाज करने वाले अस्पतालों की जरूरतों को संबोधित करता है।
कोरो-बॉट
इस रोबोट को कोरो-बॉट नाम दिया गया है। यह स्वतंत्र रूप से भोजन, पेय पदार्थ, पानी, दवाइयां वितरित कर सकता है। यह रोबोट नर्सों, कर्मचारियों या अन्य देखभाल करने वाले लोगों की सहायता के बिना भी मरीजों को अच्छी सलाह देता है।
कल्याण में होली क्रॉस अस्पताल में पहली बार इस कोरो-बॉट तैनात किया गया है।
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