24 जून को भारत में “Decarbonising Transport in India” प्रोजेक्ट लॉन्च किया जाएगा
भारत सरकार का थिंक टैंक नीति आयोग इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट फोरम (ITF) के साथ मिलकर 24 जून को “Decarbonising Transport in India” प्रोजेक्ट लॉन्च करेगा। यह परियोजना भारत के लिए कम कार्बन परिवहन प्रणाली को बढ़ावा देना चाहती है। 2008 से, भारत ITF का सदस्य रहा है, जो परिवहन नीति के लिए एक अंतर सरकारी संगठन है। यह परियोजना “उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में डीकारबोनिज़िंग परिवहन” (DTEE) परियोजनाओं का हिस्सा है। भारत, अर्जेंटीना, अजरबैजान और मोरक्को DTEE के वर्तमान प्रतिभागी हैं।
परियोजना का उद्देश्य
देश में जलवायु / जलवायु परिवर्तन से संबंधित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए, सरकार के लिए ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए काम करना आवश्यक है। इस परियोजना के माध्यम से, एक मूल्यांकन ढांचा तैयार किया जाएगा जो भारत में परिवहन उत्सर्जन के लिए बनाया जाएगा। यह ढांचा सरकार को वर्तमान और भविष्य की परिवहन चुनौतियों पर विस्तृत रूप से इनपुट प्रदान करेगा जो कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन से संबंधित हैं। परियोजना के परिणामों के आधार पर, भारत में कम कार्बन परिवहन प्रणाली की ओर एक मार्ग बनाया जाएगा।
DTEE प्रोजेक्ट
भारत की डीकार्बोनिजिंग ट्रांसपोर्ट पहल डीटीईई परियोजना का एक हिस्सा है। DTEE का पूर्ण स्वरुप Decarbonising Transport in Emerging Economies है। DTEE आईटीएफ की एक परियोजना है जिसके तहत भारत के अलावा, वर्तमान में अर्जेंटीना, मोरक्को और अजरबैजान प्रतिभागी हैं। DTEE परियोजना के तहत, ITF का लक्ष्य कई परिवहन उप-क्षेत्रों और परिवहन साधनों के लिए डीकार्बोनिजिंग परिवहन प्रणाली के लिए एक सामान्य मूल्यांकन ढांचा तैयार करना है। यह फ्रेमवर्क भाग लेने वाले देशों के इनपुट और डीकोर्बनाइजिंग ट्रांसपोर्ट में उनके विशिष्ट मॉडल के आधार पर बनाया जाएगा।
17.5 मिलियन भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों को प्रदान की गई 4957 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता
केन्द्रीय श्रम और रोजगार मंत्री ने भवन और निर्माण श्रमिकों की सहायता करने के लिए 24 मार्च, 2020 को सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री को राज्य के निर्माण और निर्माण श्रमिकों के बैंक खाते इत्यादि का विवरण तैयार करने के लिए कहा गया था ताकि उन्हें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) मोड के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके।
मुख्य बिंदु
केंद्रीय मंत्री द्वारा भवन और अन्य निर्माण कर्मकार अधिनियम 1996 की धारा 22 (1) (एच) के तहत श्रमिकों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक ढांचा बनाने का यह अनुरोध किया गया था। 23 जून, 2020 को श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने सूचित किया है कि 17.5 मिलियन श्रमिकों को 4957 करोड़ प्रदान किये गये।
प्रत्येक श्रमिक के बैंक खाते में न्यूनतम 1,000 रुपये से अधिकतम 6,000 रुपये तक की राशि हस्तांतरित की गई। श्रमिक को दी जाने वाली राशि राज्य सरकार द्वारा तय की गई थी। मंत्रालय ने कहा है कि अभी भी बहुत से कामगार हैं जो बचे हुए हैं, जिसके लिए मंत्रालय ने मिशन मोड में एक परियोजना शुरू की है ताकि वे लाभ के लिए अपना पंजीकरण पूरा कर सकें।
चीन ने शस्त्र व्यापार संधि (ATT) में शामिल होने का फैसला लिया
चीन ने बहुपक्षीय शस्त्र व्यापार संधि (ATT) में शामिल होने का निर्णय लिया है। 2013 में चीन 23 देशों में से एक था, जब उसने संयुक्त राष्ट्र में संधि को अपनाने के लिए वोट करने से परहेज़ किया था।
मुख्य बिंदु
चीन अब एक जिम्मेदार देश के रूप में विश्व मंच पर स्वयं को प्रदर्शित करने का प्रयास कर रहा है। जबकि हाल ही में चीन ने हांगकांग की स्वायत्तता पर अंकुश लगाने का प्रयास क्यिया, दक्षिण चीन सागर में पूर्ण संप्रभुता का प्रशासन करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है, और आगे भारत के साथ सीमा संघर्ष बढ़ा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने अप्रैल 2019 में घोषणा की थी कि अमेरिका अपने प्रशासन के तहत कभी भी शस्त्र व्यापार संधि की पुष्टि नहीं करेगा (अमेरिका ने संधि पर हस्ताक्षर किए हैं लेकिन अभी तक पुष्टि नहीं की है)।
मार्च 2020 में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2015 से 2019 के बीच चीन वैश्विक बाजार के 53 देशों को हथियार निर्यात करने वाला दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा हथियार-निर्यातक था।
शस्त्र व्यापार संधि (Arms Trade Treaty)
इस संधि के तहत, वैश्विक मानकों के अनुसार पारंपरिक हथियारों की अंतरराष्ट्रीय बिक्री और हस्तांतरण को विनियमित किया जाता है।
इस संधि को संयुक्त राष्ट्र महासभा में 2 अप्रैल, 2013 को अपनाया था, 24 दिसंबर, 2014 से यह संधि लागू हो गयी। यह संधि अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति बनाए रखने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य देशों के बीच पारदर्शिता और सहयोग को बढ़ावा देना है। आज तक लगभग 130 देशों ने इस संधि की पुष्टि की है। भारत ने अभी इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
RIC: रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सीट के लिए भारत का समर्थन किया
रूस-भारत-चीन (आरआईसी) के विदेश मंत्रियों की बैठक 23 जून, 2020 को आयोजित की गयी। इस त्रिपक्षीय आभासी बैठक की मेजबानी रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव द्वारा की गयी। RIC की बैठक द्वितीय विश्व युद्ध के समापन के बाद संयुक्त राष्ट्र की 75 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित की गयी।
मुख्य बिंदु
वर्षों से रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत के प्रवेश का समर्थन किया है, आरआईसी की बैठक के दौरान रूसी विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्य के रूप में भारत को शामिल करने के लिए रूस का मजबूत समर्थन व्यक्त किया।
पिछले हफ्ते 17 जून को भारत 192 में से 184 वोट हासिल करके संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक अस्थाई सदस्य बना।
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अप्रत्यक्ष रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के समय भारतीयों द्वारा किए गए योगदान को याद दिलाते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को शामिल करने पर बल दिया।
विदेश मंत्री ने चीन को 1938 में भारतीय चिकित्सकों के योगदान के बारे में याद दिलाया जब जापान ने चीन पर आक्रमण किया था। द्वारकानाथ कोटनिस के नेतृत्व में भारतीय मेडिकल मिशन ने बिना किसी नींद के 72 घंटे तक ऑपरेशन किया। मिशन द्वारा 800 से अधिक घायल चीनी सैनिकों का इलाज किया गया था।
राजस्थान सरकार लांच करेगी ‘इंदिरा रसोई योजना’
समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए शुद्ध और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ‘इंदिरा रसोई योजना’ लांच करने की घोषणा की है।
मुख्य बिंदु
इस योजना के तहत, दिन में दो बार रियायती दर पर भोजन उपलब्ध होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य में कोई भी भूखा न सोए। योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए, राज्य सरकार राज्य के प्रत्येक जिले में स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के साथ मिलकर कार्य करेगी।
योजना की प्रगति की निगरानी और मूल्यांकन के लिए, सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा। हर जिले में, योजना की निगरानी के लिए जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति भी बनाई जाएगी।
योजना के लिए, राज्य सरकार द्वारा हर साल 100 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इंदिरा रसोई योजना के तहत भोजन की दर को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
31 मार्च, 2020 को राजस्थान राज्य सरकार की अन्नपूर्णा रसोई योजना का कार्यकाल समाप्त हो गया था। यह योजना दिसंबर 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा शुरू की गई थी। इस योजना के तहत दोपहर का भोजन और नाश्ता क्रमशः 8 रुपये और 5 रुपये में उपलब्ध कराया गया था।
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