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22nd September | Current Affairs | MB Books


1. एमी अवार्ड्स 2020

एमी अवार्ड्स 2020 को 21 सितंबर, 2020 को लॉस एंजिल्स स्टेपल्स सेंटर से जिमी किमेल द्वारा लाइव होस्ट किया गया था। COVID-19 महामारी के मद्देनजर प्रत्याशियों ने अपने घरों से भाग लिया। विजेताओं ने इस वर्ष घर से अपनी ट्राफियां प्राप्त कीं।

मुख्य बिंदु

लोकप्रिय सिटकॉम ‘Schitt’s Creek’ नामक एक कॉमेडी श्रृंखला द्वारा एक ही सीज़न में सबसे अधिक पुरस्कार जीते। उन्होंने कॉमेडी श्रेणी में सात प्राइमटाइम पुरस्कार और नौ एम्मी अवार्ड जीते।

विजेताओं की सूची नीचे दी गई है:

  • Outstanding Drama Series- Succession

  • Outstanding Limited Series- Watchmen

  • Outstanding Comedy Series- Schitt’s Creek

  • Best Actor – Drama- Jeremy Strong, (Succession)

  • Best Actress – Drama- Zendaya, (Euphoria)

  • Best Actor – Comedy- Eugene Levy (Schitt’s Creek)

  • Best Actress – Comedy- Catherine O’Hara (Schitt’s Creek)

  • Best Actor – Limited Series or Movie- Mark Ruffalo (I Know This Much Is True)

  • Best Actress – Limited Series or Movie- Regina King (Watchmen)

  • Outstanding Director – Drama- Andrij Parekh, (Succession)

  • Outstanding Reality Host- RuPaul (Drag Race)

  • Outstanding Documentary or Nonfiction Series- The Last Dance

  • Outstanding Writing – Drama- Jesse Armstrong, (Succession)

  • Outstanding Documentary or Nonfiction Special- The Apollo

एमी अवार्ड्स

यह टेलीविजन और उभरते मीडिया के क्षेत्रों के भीतर उत्कृष्टता को सम्मानित करता है। इन पुरस्कारों को तीन संगठनों द्वारा संचालित किया जाता है – इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ टेलीविज़न आर्ट्स एंड साइंसेज, नेशनल एकेडमी ऑफ़ टेलीविज़न आर्ट्स एंड साइंसेज एंड रीजनल चैप्टर्स।

2. भारत के आठ सागर तटों को "ब्लू फ्लैग अंतरराष्ट्रीय ईको लेबल" दिए जाने की गई सिफारिश

पहली बार भारत के आठ सागर तटों की प्रतिष्ठित "अंतरराष्ट्रीय ईको लेबल ब्लू फ्लैग प्रमाणपत्र" के लिए सिफारिश की गई है।

इन समुद्र तटों का चयन प्रख्यात पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों से बना एक स्वतंत्र राष्ट्रीय जूरी द्वारा किया गया था।

यह घोषणा केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 18 सितंबर को आयोजित एक आभासी कार्यक्रम के दौरान की।

क्या है ब्लू फ्लैग प्रमाणीकरण?

ब्लू फ्लैग प्रमाण पत्र फाउंडेशन फॉर एनवायरनमेंट एजुकेशन, डेनमार्क द्वारा दिया जाने वाला एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त इको-लेबल है।

"ब्लू फ्लैग सागर तट" विश्व के सबसे स्वच्छ सागर तट माने जाते हैं।

ब्लू फ्लैग प्रमाणन के लिए चुने गए आठ समुद्र तट हैं

1. गुजरात का शिवराजपुर तट

2. दमण एवं दीव का घोघला तट

3. कर्नाटक का कासरगोड बीच

4. कर्नाटक का पदुबिरदी बीच

5. केरल का कप्पड बीच,

6. आंध्र प्रदेश का रुषिकोंडा बीच,

7. ओडिशा का गोल्डन बीच

8. अंडमान निकोबार का राधानगर बीच

आयोजन के दौरान, केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने भारत के इको-लेबल, तटीय पर्यावरण एवं सुरुचिपूर्ण प्रबंधन सेवा (Beach Environment and Aesthetics Management Services) कार्यक्रम के शुभारंभ की भी घोषणा की

3. प्रधानमंत्री मोदी 3 अक्टूबर को रोहतांग में अटल सुरंग का उद्घाटन कर सकते है, जानिए क्या है इस सुरंग की खासियत

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 21 सितम्बर 2020 को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोहतांग में लेह-मनाली राजमार्ग पर अटल सुरंग का तीन अक्टूबर को उद्घाटन कर सकते हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बताया कि प्रधानमंत्री के संभावित कार्यक्रम के अनुसार, वह सुरंग का उद्घाटन करने के लिए तीन अक्टूबर को मनाली आएंगे तथा लाहौल की यात्रा करेंगे।

बता दें कि पहले इसका नाम रोहतांग सुरंग था, जिसे बाद में बदलकर देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर अटल सुरंग कर दिया गया। इसे ​पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ​की याद में '​अटल रोहतांग टनल​' ​नाम दिया गया है। हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में मनाली-लेह राजमार्ग पर अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित दुनिया की सबसे लंबी सुरंग बन कर तैयार हो गई है।

अटल टनल की खासियत

मनाली से लेह को जोड़ने वाली अटल सुरंग दुनिया की सबसे लंबी हाइवे टनल है। इस सुरंग में हर 60 मीटर की दूरी पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है। सुरंग के अंदर हर 500 मीटर की दूरी पर आपातकालीन निकास भी बनाए गए हैं। सुरंग के अंदर फायर हाइड्रेंट भी लगाए गए हैं जिससे किसी प्रकार की अनहोनी में इसका इस्तेमाल किया जा सके। सुरंग की चौड़ाई 10.5 मीटर है। इसमें दोनों ओर 1-1 मीटर के फुटपाथ भी बनाए गए हैं।

10 साल में बनकर तैयार हुई अटल सुरंग 10 हजार फीट से ज्यादा लंबी है। इससे मनाली और लेह के बीच के सफर की दूरी 46 किमी कम हो जाएगी। सुरंग पूरी होने पर सभी मौसम में लाहौल और स्पीति घाटी के सुदूर के क्षेत्रों में संपर्क आसान होगा।

यह सुरंग महत्वपूर्ण क्यों?

लगभग 3,500 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित अटल टनल रक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। इससे मनाली और लेह के बीच दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी। साथ ही लाहौल-स्पीति के निवासियों को सर्दियों में इससे बहुत फायदा होगा। अटल टनल के खुलने से हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति और लेह-लद्दाख के बीच हर मौसम में सुचारू रहने वाला मार्ग मिल जाएगा।

सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण छह महीने तक इस हिस्से का देश के शेष भाग से संपर्क टूट जाता है। यह सुरंग इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे ​​पाकिस्तान-चीन बॉर्डर पर भारत की ताकत बढ़ जाएगी​​। इसके शुरू होने से लद्दाख ​का इलाका ​सालभर पूरी तरह से जुड़ा रहेगा।

पृष्ठभूमि

रोहतांग दर्रे के नीचे सुरंग बनाए जाने का ऐतिहासिक फैसला 03 जून 2000 को लिया गया था जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। सुंरग के दक्षिणी हिस्‍से को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी। कुल 8.8 किलोमीटर लंबी यह सुरंग 3000 मीटर की ऊंचाई पर बनाई गई दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है। साल 2019 में अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर ही सुरंग का नाम अटल अटल रखा गया।

4. बिहार में ‘घर तक फाइबर’ योजना लांच की गई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 सितंबर, 2020 को बिहार में नौ राजमार्ग परियोजनाओं और ‘घर तक फाइबर’ योजना की शुरुआत की है। ‘घर तक फाइबर’ योजना के तहत, घरों में ऑप्टिकल फाइबर सेवाएं प्रदान की जाएंगी।

राजमार्ग परियोजनाओं के बारे में

हाईवे परियोजनाओं में 350 किमी सड़क का निर्माण किया जाएगा।

14,250 करोड़ रुपये की लागत से सड़कें बनाई जाएंगी।

इन सड़कों से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच संपर्क बेहतर होगा।

सड़क परियोजनाएं राज्य के भीतर और आसपास सुविधा और आर्थिक विकास को भी बढ़ाएंगी।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने 2015 में बिहार राज्य के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की थी। इस पैकेज में 54,700 करोड़ रुपये की 75 परियोजनाएं शामिल थीं। इन 75 परियोजनाओं में से 13 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं जबकि 38 कार्यान्वयन के स्तर पर हैं।

बिहार में ऑप्टिकल फाइबर सेवा

इस परियोजना को ‘घर तक फाइबर’ योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा लागू किया जाना है। यह राज्य में 45,945 गांवों को जोड़ेगा। इस प्रकार यह परियोजना डिजिटल क्रांति को बिहार के सुदूर इलाकों तक भी पहुंचा सकती है।

घर तक फाइबर योजना

गाँव और ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए हर घर में ऑप्टिकल फाइबर सक्षम इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करने के लिए यह योजना शुरू की गई है। पीएम मोदी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कहा था कि इस योजना के तहत 2014 के बाद डेढ़ लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर कनेक्शन मिले हैं। यह योजना भारत नेट कार्यक्रम के तहत डिजिटल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करती है।

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम

इस कार्यक्रम ने डिजिटल क्रांति लाने के लिए देश में डिजिटल लॉकर सिस्टम, भारत नेट, राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल, ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली आदि की पहल शुरू की है। भारत सरकार ने कार्यक्रम के तहत पूरे देशभर में “डिजिटल विलेज” बनाने की योजना बनाई है।

5. COVID-19 in India : देश में Corona मामले 55 लाख के पार, 44.40 लाख लोग हुए स्वस्थ

देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण के मामलों में हो रही लगातार वृद्धि के कारण संक्रमितों की संख्या अब 55 लाख से अधिक गई है। राहत की बात यह है कि नए मामलों की तुलना में रोगमुक्त लोगों की संख्या अधिक रही, जिससे सक्रिय मामलों में भी कमी आई है। इस दौरान 41,805 और लोगों के स्वस्थ होने से रोगमुक्त लोगों की संख्या 44,34,555 हो गई है। विभिन्न राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार देर रात तक 38,305 नए मामले सामने आने से संक्रमितों की संख्या 55,23,917 हो गई है। इस दौरान 436 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या 88,345 हो गई है। राहत की बात यह है कि देश में कोरोना वायरस से निजात पाने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इस दौरान 41,805 और लोगों के स्वस्थ होने से रोगमुक्त लोगों की संख्या 44,34,555 हो गई है। देश में इस समय कोविड-19 के सक्रिय मामले आज 995806 दर्ज किए गए। महाराष्ट्र 2,91,238 सक्रिय मामलों के साथ शीर्ष पर है। उसके बाद कर्नाटक में 95,335 मामले और आंध्र प्रदेश में 74,518 सक्रिय मामले हैं। देश में सक्रिय मामलों की दर 17.99 प्रतिशत और रोगमुक्त होने वालों की दर 80.12 फीसदी है, जबकि मृत्यु दर 1.59 फीसदी है।

महामारी से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित महाराष्ट्र में सक्रिय मामले 2,91,238 हैं। राज्य में संक्रमण से मुक्ति पाने वालों की संख्या 8,84,341 हो गई है। राज्य में रिकॉर्ड 455 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या 32,671 हो गई है। देश में सर्वाधिक सक्रिय मामले इसी राज्य में हैं।

6. अब सहकारिता क्षेत्र के बैंक होंगे RBI के दायरे में, विधेयक को मिली संसद की मंजूरी

सहकारिता क्षेत्र के बैंकों को बैंकिंग क्षेत्र की नियामक संस्था, भारतीय रिजर्व बैंक के निगरानी दायरे में लाने के प्रावधान वाले एक विधेयक को मंगलवार को संसद की मंजूरी मिल गई। इस विधेयक का उद्देश्य जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना है।

राज्यसभा ने इस प्रावधान वाले बैंकिंग नियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

विधेयक को लोकसभा 16 सितंबर को पारित कर चुकी है। यह विधेयक कानून बनने के बाद उस अध्यादेश की जगह लेगा जिसे 26 जून को लाया गया था।

पीएमसी बैंक घोटाले की पृष्ठभूमि में लाए गए इस विधेयक का उद्देश्य सहकारी बैंकों में पेशेवर तौर-तरीकों को बढ़ाना, पूंजी तक पहुंच को बेहतर बनाना, प्रशासन में सुधार लाना और रिजर्व बैंक के माध्यम से समुचित बैंकिंग व्यवस्था को सुनिश्चित करना है। राज्यसभा में विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जमाकर्ताओं के हितों की पूर्ण रक्षा करने के लिए ये प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह संशोधन केवल बैंकिंग गतिविधियों में लगी सहकारी समितियों के लिए है तथा कोविड की ​​अवधि के दौरान कई सहकारी बैंक वित्तीय दबाव में आ गए। उनकी वित्तीय स्थिति पर नियामक संस्था रिजर्व बैंक द्वारा कड़ी निगरानी की जा रही है।

संशोधनों की आवश्यकता को उचित ठहराते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार संकट से जूझ रहे येस बैंक का जल्द समाधान निकालने में सक्षम हुई, क्योंकि यह वाणिज्यिक बैंक नियमों द्वारा संचालित था, लेकिन पीएमसी बैंक संकट का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है।

7. अनिल धस्माना बने एनटीआरओ के नए प्रमुख

पूर्व रिसर्च और एनालिसिस विंग (रॉ) के प्रमुख अनिल धस्माना को राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (National Technical Research Organisation) का प्रमुख नियुक्त किया गया है।

धस्माना खुफिया विभाग के पूर्व अधिकारी सतीश झा की जगह लेंगे

धस्माना, 1981 बैच के आईपीएस अधिकारी, एक पाकिस्तान विशेषज्ञ हैं, जो फरवरी 2019 में बालाकोट में हुई एयरस्ट्राइक के मुख्य योजनाकार थे।

जून 2019 में आम चुनावों के चलते उन्होंने अपना विस्तारित कार्यकाल शुरू होने से कुछ महीनों पहले पद छोड़ दिया था

8. भारत सरकार ने रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया

भारत सरकार ने 21 सितंबर, 2020 को रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाया है। गेहूं पर MSP में 50 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। जिन अन्य फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि की गई है उनमें चना, सरसों, केसर और मसूर शामिल हैं।

मुख्य तथ्य

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में एमएसपी बढ़ाने का निर्णय लिया गया।

भारत सरकार ने रबी फसलों के लिए किसानों को एमएसपी के रूप में 13 ट्रिलियन रुपये जारी किए हैं।

चने पर एमएसपी में 3%, सरसों पर 7% और जौ पर 5.7% की वृद्धि हुई है।

एमएसपी को क्यों बढ़ाया गया है?

दो कृषि बिलों – किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 और किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक, 2020 के पारित होने पर पंजाब और हरियाणा में जारी विरोध प्रदर्शनों के बाद एमएसपी को बढ़ाने का निर्णय लिया गया।

न्यूनतम समर्थन मूल्य

न्यूनतम समर्थन मूल्य एक कृषि उत्पाद मूल्य है जो किसान से सीधे खरीदने के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है। यह दर किसान के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करती है क्योंकि यह बाजार की स्थितियों के बावजूद फसल के लिए न्यूनतम लाभ प्रदान करता है। भारत में 2006 में एम.एस. स्वामीनाथन के तहत गठित एक समिति ने सिफारिश की थी कि एमएसपी उत्पादन लागत से कम से कम 50% अधिक होना चाहिए।

MSP को कौन निर्धारित करता है?

एमएसपी कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों पर तय होता है। किसानों द्वारा अपनी उपज बेचने में आने वाली बाधाओं के ऑन-स्पॉट मूल्यांकन के लिए आयोग राज्यों का दौरा करने के बाद कीमतों की सिफारिश करता है। सरकार सिफारिशों के आधार पर मूल्य तय करती है और राज्य सरकारों और विभिन्न अन्य संबंधित मंत्रालयों को प्रसारित करती है।

खाद्यान्न की खरीद किसके द्वारा की जाती है?

भारतीय खाद्य निगम फसलों की खरीद करने वाली नोडल एजेंसी है।

9. HOCL को उसके सभी उत्पादों के लिए मिला ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स सर्टिफिकेशन

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सार्वजानिक उपक्रम हिंदुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स लिमिटेड (HOCL) को उसके सभी उत्पादों के लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स-BIS प्रमाणन प्रदान किया गया है।

HOCL अपनी स्थापना के बाद से रसायन के निर्माण में अग्रणी रहा है।

यह कंपनी एक या दूसरे तरीके से भारत सरकार की मेक इन इंडिया पहल का समर्थन एवं उसका कार्यान्वयन कर रही है।

यह रसायन उद्योग की शीर्ष इकाई है, जिसकी केरल के कोच्चि में विनिर्माण इकाई है।

हिंदुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स लिमिटेड (HOCL) के सभी उत्पादों को व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है, विशेष रूप से फार्मास्युटिकल उद्योग में जहां उत्पाद की उच्चतम गुणवत्ता की मांग की जाती है।

अब, इसे अपने उत्पादों में बेहतर गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास के प्रमाण के रूप में, इसे अपने सभी उत्पादों के लिए बीआईएस प्रमाणन प्रदान किया गया है।

10. एयरबस 2035 तक दुनिया का पहला वाणिज्यिक हाइड्रोजन विमान लॉन्च करेगी

21 सितंबर 2020 को विमानन कंपनी एयरबस ने पहले शून्य उत्सर्जन वाणिज्यिक विमान के लिए तीन कॉन्सेप्ट को लॉन्च किया। उनका यह विमान 2035 तक कार्य करना शुरू करेगा।

मुख्य बिंदु

कंपनी के तीन कांसेप्ट का कोड नाम ZEROe के तहत पेश किया गया है। यह कांसेप्ट इस प्रकार हैं :

टर्बोफैन डिजाइन।इसमें 120 से 200 यात्री बैठ सकते हैं और यह 2000 से अधिक समुद्री मील की दूरी तक उड़ान भर सकता है।

ब्लेंडेड विंग बॉडी डिज़ाइन।इस विमान में 200 यात्री बैठ सकते हैं।

टर्बोप्रॉप डिज़ाइन।इस तरह के विमान में 200 यात्री बैठ सकते हैं। यह 1000+ समुद्री मील की गति से यात्रा करने में सक्षम है। वे छोटी यात्राओं के लिए उपयुक्त हैं।

पृष्ठभूमि

मानवजनित जलवायु परिवर्तन में विमानन उत्सर्जन का 5 प्रतिशत योगदान है। इसलिए, हाइड्रोजन जैसे स्वच्छ विमान ईंधन की ओर स्थानांतरित होना आवश्यक है।

चिंताएं

इस मॉडल को सफल बनाने के लिए हवाई अड्डों को हाइड्रोजन ईंधन भरने के बुनियादी ढांचे को अपनाना होगा। साथ ही, सरकारों को महत्वाकांक्षी उद्देश्यों को अपनाने में रुचि दिखानी चाहिए।

पहला हाइड्रोजन विमान

एयरबस द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया हाइड्रोजन विमान पहला वाणिज्यिक हाइड्रोजन संचालित विमान है। इससे पहले रूसी निर्माता टुपोलेव ने Tu-154 नामक एक प्रोटोटाइप का निर्माण किया था। यह पहला प्रायोगिक विमान था जो तरल नाइट्रोजन पर संचालित था।

हाइड्रोजन

हालांकि हाइड्रोजन एक स्वच्छ ईंधन है, यह जीवाश्म ईंधन की तुलना में अधिक महंगा है। क्योंकि हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में उपयोग करने में कई बाधाएं हैं। हाइड्रोजन सबसे हल्का तत्व है और इसलिए ऊपरी वायुमंडल की ओर बहुत आसानी से निकल जाता है। और इसलिए, यह दुर्लभ ही शुद्ध रूप में पाया जाता है।

हाइड्रोजन का उत्पादन

हाइड्रोजन आमतौर पर मीथेन से या पानी के इलेक्ट्रोलिसिस से उत्पन्न होता है। 2020 में, हाइड्रोजन मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन, कोयला गैसीकरण या मीथेन के आंशिक ऑक्सीकरण द्वारा उत्पादित किया जाता है। इन तीनों में से, स्टीम मीथेन रीफॉर्मिंग 2020 में मौजूदा प्रमुख तकनीक है। हालांकि, यह तकनीक वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड छोड़ती है।

विश्व का सबसे बड़ा हाइड्रोजन उत्पादन केंद्र

दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोजन उत्पादन केंद्र फुकुशिमा हाइड्रोजन ऊर्जा अनुसंधान क्षेत्र है जो जापान में स्थित है।

11. ओ-स्मार्ट योजना: 25 हिंद महासागर देशों में सेवाएं प्रदान करने वाली सुनामी प्रारंभिक चेतावनी केंद्र

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान तथा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने हाल ही में राज्यसभा में एक लिखित जवाब दिया। उनके उत्तर के अनुसार, भारतीय सूनामी प्रारंभिक चेतावनी केंद्र वर्तमान में 25 भारतीय महासागर देशों को सेवाएं प्रदान कर रहा है। यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की O-SMART योजना के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है।

ओ-स्मार्ट योजना की मुख्य विशेषताएं

ओ-स्मार्ट योजना की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं :

O-SMART का पूर्ण स्वरुप Ocean Services, Modelling, Applications, Resources and Technology scheme है।

यह प्रणाली भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र में समुद्री जीवन संसाधनों पर जानकारी उत्पन्न और अद्यतन करती है।

यह प्रणाली मुक्त जल प्रदूषकों की निगरानी करती है।यह डेटा तब भारत के तटीय जल के स्वास्थ्य मूल्यांकन के लिए उपयोग किया जाता है।

यह समुद्र अवलोकन प्रणालियों की विस्तृत श्रृंखला विकसित करती है। ये प्रणालियां भारत में समुद्र से वास्तविक समय के डेटा को प्राप्त करने में मदद करती हैं।

यह समाज के लाभ के लिए चेतावनी, सलाह और उपयोगकर्ता-उन्मुख महासागरीय जानकारी प्रदान करती है।

यह महासागर पूर्वानुमान और पुनर्विश्लेषण प्रणाली विकसित करती है।

यह योजना उन प्रौद्योगिकियों को विकसित करती है जिनका उपयोग समुद्री जैव संसाधनों के लिए किया जाता है।

यह एल्गोरिदम प्रदान करता है जो तटीय अनुसंधान से संबंधित उपग्रह डेटा के वेलिडेशन करने में मदद करता है।

यह तटीय इलाकों में जल उपचार सुविधाओं की स्थापना के लिए जिम्मेदार है।

भारतीय सुनामी प्रारंभिक चेतावनी केंद्र

यह केंद्र भारतीय राष्ट्रीय सूचना सेवा संस्थान (INCOIS) हैदराबाद में स्थापित किया गया था। यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन काम करता है। यह केंद्र वर्तमान में 25 से अधिक भारतीय महासागर के देशों को सुनामी चेतावनी सेवाएं प्रदान कर रहा है। यह यूनेस्को के ढांचे के अंतर-सरकारी महासागरीय आयोग के तहत किया जा रहा है।

INCOIS

INCOIS ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली में मोशन एक्सेलेरोमीटर स्थापित किए हैं।20 सेंसर भूकंप स्रोतों के त्वरित और विश्वसनीय अनुमान में मदद करते हैं।

यह सुनामी की स्थिति के दौरान तैयारियों पर प्रशिक्षण और अभ्यास भी आयोजित करता है और सुनामी के बारे में जागरूकता पैदा करता है।

यह यूनेस्को द्वारा पेश किए गए सुनामी तैयारी कार्यक्रम को पूरी तरह से लागू करने के लिए भी लागू कर रहा है।

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