1.ICMR समेत तीन संस्थानों के TB जांच को WHO का मिला समर्थन
विश्व स्वास्थ्य संगठन )WHO) ने टीबी (क्षय रोग) का प्रारंभिक अवस्था में पता लगाने और उसकी एक प्रमुख दवा की प्रतिरोधक क्षमता का आकलन करने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद )ICMR) समेत तीन संस्थानों की तरफ से किए जा रहे जांच का समर्थन किया है।
तीनों अनुसंधान संस्थानों ने कहा कि उनकी टीबी का शुरुआत में पता लगाने हेतु 'रैपिड मोलेकूलर ट्रूएंट एसेस' जांच और साथ ही वयस्कों व बच्चों में रिफैम्पिसिन प्रतिरोधक का पता लगाने की उनकी जांच का डब्ल्यूएचओ ने समर्थन किया है। रिफैम्पिसिन टीबी के इलाज में सामान्य तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवा है।
ICMR समेत तीन संस्थान
आइसीएमआर के अतिरिक्त अन्य दो संस्थान-फाउंडेशन फॉर इनोवेटिव न्यू डायग्नोस्टिक्स (FIND) और मोलबियो डायग्नोस्टिक्स हैं।
ट्रूएंट एक नई तरह की जांच प्रक्रिया
ट्रूएंट एक नई तरह की जांच प्रक्रिया है। इसमें तेजी से ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) और रिफैम्पिसिन प्रतिरोधक की पहचान होती है। इसमें सभी तीन तरह की जांच के नतीजे आधे घंटे से भी कम समय में आ जाते हैं।
टीबी का पता लगाने के लिए तीन तरह की जांच
गौरतलब है कि टीबी का पता लगाने के लिए तीन तरह की जांच की जाती है, जिसमें ट्रूएंट एमटीबी, ट्रूएंट एमटीबी प्लस और ट्रूएंट एमटीबी-आरआइएफ डीएक्स शामिल हैं। इसमें पहले की दो जांच से टीबी वैक्टीरिया का पता चलता है, जबकि तीसरी जांच से रिफैम्पिसिन प्रतिरोधक की पहचान होती है।
साल 2018 में एक करोड़ टीबी के मामले
बयान के मुताबिक, दुनिया भर में संक्रामक बीमारी से होने वाली मौत में टीबी एक प्रमुख कारण है। साल 2018 में एक करोड़ टीबी के मामले थे एवं 15 लाख लोगों की इससे मौत हो गयी थी। इसमें कहा गया है कि दवा विरोधी टीबी एक विशेष चुनौती पेश करती है, इसमें रिफेम्पिसिन और अन्य दवाओं के लिए प्रतिरोध बढ़ रहा है जो इस बीमारी का इलाज करते हैं।
साल 2030 तक टीबी को समाप्त करने का लक्ष्य
बयान में कहा गया है कि साल 2018 में रिफेम्पिसिन प्रतिरोधी तपेदिक के करीब पांच लाख नये मामलों का निदान किया गया था। साल 2030 तक टीबी को समाप्त करने के विश्व स्वास्थ्य संगठन के लक्ष्य को पूरा करने हेतु टीबी के निदान एवं इलाज के बीच के अंतर को पाटने के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
2.विश्व बैंक ने गंगा के कायाकल्प के लिए 400 मिलियन अमरीकी डालर की राशि को दी मंजूरी
विश्व बैंक ने 29 जून को यह घोषणा की है कि उसने गंगा नदी के लिए 400 मिलियन अमरीकी डालर (लगभग 300 करोड़ रुपये) के साथ भारत सरकार के कार्यक्रम के लिए अपना योगदान प्रदान किया है। बैंक के अनुसार, इस सहायता से भारत को गंगा नदी में प्रदूषण रोकने में मदद मिलेगी।
विश्व बैंक ने एक बयान जारी करके यह कहा है कि इस सहायता से नदी बेसिन के प्रबंधन को मजबूत करने में मदद मिलेगी जो लगभग 500 मिलियन लोगों का घर है।
बैंक वर्ष 2011 से चल रही राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन परियोजना के माध्यम से इस परियोजना के लिए भारत सरकार के प्रयासों में मदद कर रहा है। इसने नदी के प्रबंधन के लिए एक नोडल एजेंसी के तौर पर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) स्थापित करने में भी मदद की है।
मुख्य विशेषताएं
• इस 25 जून, 2020 को द्वितीय राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन परियोजना को विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशकों ने मंजूरी दी है।
• यह परियोजना सरकार के नमामि गंगे कार्यक्रम के साथ ही गंगा नदी में प्रदूषण नियंत्रण की दीर्घकालिक सरकारी योजना के साथ-साथ जल की गुणवत्ता को बहाल करने में भी अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देगी।
• गंगा नदी के कायाकल्प की इस परियोजना में 381 मिलियन अमरीकी डालर का ऋण और 19 मिलियन अमरीकी डालर तक की प्रस्तावित गारंटी शामिल है।
• ऋण की परिपक्वता अवधि 18.5 वर्ष है जिसमें 5 वर्ष की छूट अवधि शामिल है।
विश्व बैंक द्वारा गंगा के कायाकल्प का समर्थन
विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर (इंडिया) जुनैद अहमद ने यह भी बताया कि पहली विश्व बैंक परियोजना के तहत, गंगा नदी के किनारे 20 प्रदूषण वाले हॉटस्पॉट्स में महत्वपूर्ण सीवेज इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में मदद की गई और यह दूसरी परियोजना इसे सहायक नदियों तक पहुंचाने में मदद करेगी।
उन्होंने कहा कि यह परियोजना गंगा बेसिन जैसे अन्य जटिल और बड़े नदी बेसिन के प्रबंधन के लिए आवश्यक संस्थानों को मजबूत करने में भी सरकार की मदद करेगी। विश्व बैंक ने नदी के किनारे के कई शहरों और कस्बों में सीवेज ट्रीटमेंट के बुनियादी ढांचे को भी वित्तपोषित किया है।
विश्व बैंक द्वारा जारी बयान के अनुसार, गंगा बेसिन में भारत के भूभाग का एक चौथाई भाग शामिल है। यह देश के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय और आर्थिक संसाधन है।
यह नदी भारत के सतही जल का एक तिहाई हिस्सा उपलब्ध करवाती है जिसमें देश का सबसे बड़ा सिंचित क्षेत्र शामिल है जो भारत की जल और खाद्य सुरक्षा के लिए इसे आवश्यक बनाता है।
विश्व बैंक के बयान के अनुसार, भारत की जीडीपी का 40% से अधिक हिस्सा इस घनी आबादी वाले बेसिन से उत्पन्न होता है लेकिन गंगा नदी आज आर्थिक और मानवीय गतिविधियों के दबाव का सामना कर रही है जो इसके जल प्रवाह और जलीय गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।
3.इसरो को मिली बड़ी सफलता, मंगलयान ने भेजी मंगल ग्रह के सबसे बड़े चंद्रमा की तस्वीर
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मंगलयान (Mars Orbiter Mission) ने मंगल ग्रह के नजदीकी और सबसे बड़े चंद्रमा फोबोस की तस्वीर भेजी है। मंगलयान पर लगे मार्स कलर कैमरा ने यह तस्वीर कैद की है। मार्स कलर कैमरा ने यह तस्वीर एक जुलाई को उस समय कैद की थी, जब मंगलयान मंगल ग्रह से 7,200 किलोमीटर और फोबोस से 4,200 किलोमीटर दूर था।
इसरो ने कहा कि यह 6 मार्स कलर कैमरा फ्रेस से ली गई यह एक समग्र तस्वीर है और उसके कलर को सही किया गया है। इसरो के अनुसार, फोबोस पर एक बहुत बड़ा गड्ढा नजर आ रहा है, जिसे स्टिकनी नाम दिया गया है। यह बहुत पहले फोबोस से आकाशीय पिंडों के टकराने से बना होगा। इसके अलावा भी कई छोटे-छोटे गढ्डे इस तस्वीर में नजर आ रहे हैं। इनका नाम स्लोवास्की, रोश और ग्रिलड्रिग रखा गया है।
मिशन में आई लागत 450 करोड़ रुपये
इसरो ने 05 नवंबर 2013 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी रॉकेट (PSLV rocket) के जरिए यह प्रक्षेपण किया था। इसमें 450 करोड़ रुपये लागत आई थी। इस मिशन का उद्देश्य मंगल की सतह और वहां खनिजों की संरचना का अध्ययन करना है। यही नहीं इसका उद्देश्य वहां के वायुमंडल में मिथेन की मौजूदगी के बारे में पड़ताल करना भी है। मंगल पर मिथेन की मौजूदगी जीवन की ओर संकेत करती है।
मिशन का उद्देश्य
इसरो ने 24 सितबंर 2014 को मार्स ऑर्बिटर मिशन के तहत मंगलयान को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया था। इस मिशन का उद्देश्य शुरू में छह महीने के लिए था लेकिन बाद में इसरो ने कहा कि कई वर्षों तक सेवा देने के लिए इसमें पर्याप्त मात्रा में ईंधन मौजूद है। मालूम हो कि इसरो ने मंगलयान को अपने पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया था।
पांच वैज्ञानिक उपकरण
मार्स ऑर्बिटर में पांच वैज्ञानिक उपकरण- लाइमन अल्फा फोटोमीटर, मीथेन सेंसर फॉर मार्स, मार्स एक्सोस्फेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर, मार्स कलर कैमरा और थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर हैं।
4.झारखंड सरकार का बड़ा फैसला, बैद्यनाथधाम-देवघर का श्रावणी मेला स्थगित
देवघर का विश्वप्रसिद्ध श्रावणी मेले (Shrawani Mela 2020) का इस बार आयोजन नहीं हो सकेगा। झारखंड सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे से बचने के लिए इस साल सालाना आयोजन को स्थगित करने का निर्णय लिया है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दुमका और देवघर के उपायुक्त को इस बात की जानकारी दी।
राज्य सरकार राज्यवासियों के बेहतर स्वास्थ्य के प्रति गंभीर है। कोरोनाकाल में लोगों के स्वास्थ्य को लेकर किसी तरह का जोखिम नहीं लिया जा सकता, जिससे कि झारखंड महामारी के बुरे दौर में चला जाए। इस वजह से राज्य सरकार ने श्रावणी मेले का आयोजन इस वर्ष नहीं करने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन सचिव अमिताभ कौशल ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने पहले ही धार्मिक सभा, समागम आदि पर रोक लगा रखी है।
झारखंड हाई कोर्ट का फैसला
झारखंड हाई कोर्ट में 03 जुलाई को श्रावणी मेला 2020 के मामले में सुनवाई हुई। श्रावणी मेला और कांवर यात्रा के मामले में हाई कोर्ट का फैसला आ गया है। आदेश के अनुसार श्रावणी मेला का आयोजन नहीं होगा। कांवर यात्रा नहीं होगी. हाई कोर्ट ने सावन में देवघर मंदिर की पूजा को ऑनलाइन दर्शन कराने का सरकार को आदेश दिया। निशिकांत दुबे ने यहां श्रावणी मेला और कांवर यात्रा को नियम-शर्तों के साथ चालू करने की अपील की है।
बाबाधाम की पूजा का ऑनलाइन दर्शन
हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार सावन के पहले दिन से ही बाबाधाम की पूजा का ऑनलाइन दर्शन शुरू हो जाएगा। देवघर में श्रावणी मेला और कांवर यात्रा का आयोजन नहीं होगा। अदालत ने यूपी, बिहार सहित अन्य जगहों पर कांवर यात्रा शुरू नहीं करने का भी हवाला दिया।
सरकार विशेष पैकेज देगी
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने साफ कर दिया है कि कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए सरकार ने इस बार देवघर के विश्वप्रसिद्ध श्रावणी मेले का आयोजन नहीं कराने का फैसला लिया है। उन्होंने यह भी घोषणा की है कि देवघर और बासुकीनाथ के वैसे प्रभावित लोगों को सरकार विशेष पैकेज देगी, जो रोजी-रोजगार के लिए इस मेले पर आश्रित रहते हैं।
श्रावणी मेला का आयोजन
हर साल सावन महीने में देवघर में श्रावणी मेला के आयोजन होता रहा है। इस दौरान देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु कांवर लेकर देवघर पहुंचते हैं और बाबा बैद्यनाथ मंदिर में जलार्पण करते हैं। यहां से फिर श्रद्धालु दुमका जाकर बासुकीनाथ मंदिर में पूजा-पाठ करते हैं। ये परंपरा सालों से चली आ रही है लेकिन कोरोना के चलते इस बार देवघर में श्रावणी मेले का आयोजन नहीं होगा। यह मेला एक महीने तक चलता था।
5.भारत में रोक लगने से चीनी कंपनी को बड़ा झटका, 3 ऐप्स पर बेन से 6 अरब डॉलर का नुकसान
बीजिंग। वीडियो सोशल मीडिया ऐप टिकटॉक पर मालिकाना हक रखने वाली चीन की बाइटडांस लिमिटेड को भारत में उसके 3 ऐप पर रोक लगाये जाने से 6 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है। कंपनी की दो अन्य ऐप वीगो वीडियो और हेलो हैं।
गौरतलब है कि भारत सरकार ने सोमवार को चीन की कुल 59 ऐप पर रोक लगा दी थी। इसमें टिकटॉक, वीगो वीडियो, हेलो, यूसी ब्राउजर, यूसी न्यूज, वीचैट और शेयरचैट जैसी चर्चित ऐप शामिल हैं।
भारत सरकार ने देश की संप्रभुता और अखंडता और डेटा सुरक्षा को खतरा बताते हुये इन ऐप को बंद किया। लेकिन सरकार के इस निर्णय को 15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच हुए हिंसक संघर्ष से जोड़कर देखा जा रहा है। इस संघर्ष में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे।
6.वंदे भारत मिशन शुरू होने के बाद 5.03 लाख से ज्यादा भारतीयों की हुई वतन वापसी
नई दिल्ली। कोरोनावायरस संक्रमण के कारण विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने के लिए 7 मई से शुरू हुए 'वंदे भारत' अभियान के तहत 5.03 लाख से अधिक भारतीय वतन लौटे हैं।
इस अभियान के तहत 137 देशों में फंसे हुए भारतीय नागरिकों को लाया गया। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी देते बताया कि शुरू में सिर्फ 2 लाख फंसे हुए भारतीयों को वापस लाने का लक्ष्य था लेकिन इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। विदेश मंत्रालय ने कहा, 'वंदे भारत' अभियान के तहत 3.6 लाख से अधिक भारतीय वापस आए
अभियान का पहला चरण 7 मई से 15 मई तक चला। मिशन के तहत वापसी का दूसरा चरण 17 से 22 मई तक चला। हालांकि सरकार ने इस चरण को 10 जून तक के लिए बढ़ा दिया। तीसरा चरण 11 जून से 2 जुलाई तक चला। एक बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मिशन शुरू होने के बाद से 137 देशों से कुल 5,03,990 भारतीय वतन लौटे हैं।
7.मुंबई में लगातार दूसरे दिन भारी बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट
मुंबई। मुंबई के कई इलाकों में शनिवार को लगातार दूसरे दिन भारी बारिश हो रही है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने महाराष्ट्र के तटीय जिलों और भी भारी बारिश जारी रहने का अनुमान जताया है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग, मुंबई के उपमहानिदेशक के एस होसालिकर ने शनिवार को ट्वीट किया कि पिछले 24 घंटे में मुंबई में भारी बारिश हुई। उन्होंने ट्वीट किया कि मुंबई और पश्चिम तट में आज भारी बारिश जारी रहेगी।
होसालिकर ने बताया कि शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे के बाद शहर और इसके आस-पास के इलाकों में 25 मिमी से 30 मिमी बारिश दर्ज हुई।
मौसम विभाग ने मुंबई, रायगढ़ और रत्नागिरि के लिए शुक्रवार को रेड अलर्ट जारी किया था और पालघर, मुंबई, ठाणे और रायगढ़ जिलों में कई स्थानों पर शनिवार को भारी से बहुत भारी बारिश होने का अनुमान जताया था।
मौसम विभाग के डेटा के अनुसार मुंबई के कोलाबा मौसम ब्यूरो ने पिछले 24 घंटे में 169 मिमी बारिश दर्ज की, जबकि इसी अवधि में सांताक्रूज मौसम स्टेशन ने 157 मिमी बारिश दर्ज की।
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ )IBC) के साथ साझेदारी में, संस्कृति मंत्रालय 4 जुलाई, 2020 की आषाढ़ पूर्णिमा पर धम्म चक्र दिवस के लिए समारोह का आयोजन किया गया। इस दिवस के लिए राष्ट्रपति भवन में समारोह का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा किया गया।
हर साल जुलाई के महीने में पहली पूर्णिमा के दिन को धम्म चक्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। जुलाई के पहले पूर्णिमा के दिन को भारत में आषाढ़ पूर्णिमा, श्रीलंका में एसाला पोया और थाईलैंड में असना बुचा कहा जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा या वेसाक के बाद, धम्म चक्र दिवस बौद्ध धर्म में दूसरा सबसे पवित्र दिन है।
धम्म चक्र दिवस
गौतम बुद्ध द्वारा अपने पांच तपस्वी शिष्यों (पांच भिक्षुओं) को पहला उपदेश देने की स्मृति में यह दिवस मनाया जाता है। गौतम बुद्ध ने आषाढ़ माह में पूर्णिमा के दिन अपना पहला उपदेश दिया था। गौतम बुद्ध द्वारा पहला उपदेश बौद्ध ग्रन्थ- धम्मचक्कप्पवट्टन सुत्त में दर्ज है।
गौतम बुद्ध ने पहला उपदेश उत्तर प्रदेश में वर्तमान सारनाथ में दिया था।
इस वर्ष समारोह का आयोजन लगभग COVID-19 महामारी के कारण वर्चुअली किया जाएगा। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में सुबह 9 बजे इस उत्सव का उद्घाटन किया।
COVID-19 महामारी के कारण राष्ट्रव्यापी बंद के बीच, उर्वरक मंत्रालय के साथ-साथ रेल मंत्रालय, राज्य सरकारों, और विभिन्न अन्य विभागों जैसे बंदरगाहो, आदि ने किए गए प्रयासों ने यह सुनिश्चित करने में मदद की है कि देश में उर्वरकों के उत्पादन और आपूर्ति का प्रभाव नहीं है। इसके परिणामस्वरूप, वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष) 2020-21 की पहली तिमाही में उर्वरकों की अधिक बिक्री दर्ज की गई। अगर वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही से तुलना करें तो वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में दर्ज उर्वरकों की बिक्री 82.81 प्रतिशत अधिक है।
1 अप्रैल, 2020 से 30 जून, 2020 के बीच 111.61 लाख मीट्रिक टन उर्वरक की देश भर में किसानों को बेच बेचा गया। चूंकि खरीफ फसलों का मौसम भारत के दक्षिणी भागों में मई के अंतिम सप्ताह से शुरू होता है और जून के मध्य तक देश के बाकी हिस्सों में, केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता के साथ खड़े होने में सक्षम था।
बेचे गये उर्वरकों का विवरण
· यूरिया: 64.82 लाख एमटी – वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही की तुलना में बिक्री 67 प्रतिशत अधिक है
· डायमोनियम फ़ॉस्फ़ेट (डीएपी): 22.46 लाख एमटी- वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही की तुलना में बिक्री 100 प्रतिशत अधिक है
· कॉम्प्लेक्स फ़र्टिलाइज़र: 24.32 लाख मीट्रिक टन- बिक्री वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही की तुलना में 120 प्रतिशत अधिक है
2024 (पेरिस) और 2028 (लॉस एंजिल्स) के आगामी ओलंपिक के लिए देश में युवा एथलीटों को तैयार करने के लिए, केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय जूनियर एथलीटों के लिए टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) लॉन्च करेगा।
इस योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत 2028 के ओलंपिक में शीर्ष 10 पदक विजेता देशों की सूची में शामिल हो।
टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम )TOPS)
यह योजना जुलाई 2014 के महीने में तैयार की गई थी। इस योजना का उद्देश्य देश भर से पदक की संभावनाओं वाले व्यक्तियों की पहचान करना था, और उन्हें आगामी ओलंपिक और पैरालिम्पिक्स के लिए तैयार करना है। TOPS के तहत चुने गए एथलीटों की सहायता के लिए मिशन ओलंपिक सेल नामक एक समर्पित निकाय का गठन किया गया है।
अब, देश में जूनियर एथलीटों के लिए TOPS को लागू किया जाएगा, अधिकारियों द्वारा विभिन्न प्रतिभा पहचान कार्यक्रमों के माध्यम से 10 से 12 वर्षीय प्रतिभाओं को इस योजना के तहत चुना जाएगा। इसके अलावा, चुने हुए व्यक्तियों को दुनिया में शीर्ष कोच, अनुकूलित प्रशिक्षण आदि जैसी सभी संभव सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
26 जून, 2020 को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.27 बिलियन डॉलर की वृद्धि के साथ 506.84 अरब डॉलर तक पहुँच गया है। विश्व में सर्वाधिक विदेशी मुद्रा भंडार वाले देशों की सूची में भारत 5वें स्थान पर है, इस सूची में चीन पहले स्थान पर है।
विदेशी मुद्रा भंडार
इसे फोरेक्स रिज़र्व या आरक्षित निधियों का भंडार भी कहा जाता है भुगतान संतुलन में विदेशी मुद्रा भंडारों को आरक्षित परिसंपत्तियाँ’ कहा जाता है तथा ये पूंजी खाते में होते हैं। ये किसी देश की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति का एक महत्त्वपूर्ण भाग हैं। इसमें केवल विदेशी रुपये, विदेशी बैंकों की जमाओं, विदेशी ट्रेज़री बिल और अल्पकालिक अथवा दीर्घकालिक सरकारी परिसंपत्तियों को शामिल किया जाना चाहिये परन्तु इसमें विशेष आहरण अधिकारों , सोने के भंडारों और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की भंडार अवस्थितियों को शामिल किया जाता है। इसे आधिकारिक अंतर्राष्ट्रीय भंडार अथवा अंतर्राष्ट्रीय भंडार की संज्ञा देना अधिक उचित है।
26 जून, 2020 को विदेशी मुद्रा भंडार
विदेशी मुद्रा संपत्ति (एफसीए): $467.60 बिलियन गोल्ड रिजर्व: $ 33.52 बिलियन आईएमएफ के साथ एसडीआर: $ 1.44 बिलियन आईएमएफ के साथ रिजर्व की स्थिति: $ 4.27 बिलियन
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