top of page
Search
Writer's picturesardardhirendrasingh111

14th September | Current Affairs | MB Books


1. योशिहिदे सुगा जापान के नए प्रधानमंत्री बनने की राह पर, शिंज़ो आबे दे रहे हैं इस्तीफा

जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे (Shinzo Abe) अपनी गिरती सेहत के चलते इस्तीफा दे रहे हैं। जापान की सत्तारूढ़ पार्टी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ने सोमवार को आबे की सरकार में मुख्य कैबिनेट सचिव का पद देख रहे योशिहिदे सुगा (Yoshihide Suga) को अपना नेता बनाया है। इससे अब यह पूरी तरह से आधिकारिक हो गया है कि सुगा, आबे की जगह ले रहे हैं। सोमवार को लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी और क्षेत्रीय प्रतिनिधियों के बीच हुए चुनाव में सुगा को बहुत आसान जीत मिल गई। उन्हें 534 में से कुल 377 वैध वोट मिले। उनके खिलाफ खड़े पूर्व रक्षा मंत्री शिगेरु इशीबा और एलडीपी के ही पॉलिसी चीफ फूमियो किशीदा उनके मुकाबले काफी पीछे रहे।

एलडीपी को विधायकों से मिले बहुमत के बाद अब बुधवार को इसपर संसदीय वोट लिया जाना है, जिसमें संभावना है कि सुगा को जीत मिलेगी, जिसके बाद वो जापान के नए प्रधानमंत्री बन जाएंगे।

71 साल के योशिहिदे सुगा आबे सरकार के शक्तिशाली सलाहकार और प्रवक्ता रहे हैं और उनको आबे की ही नीतियों को आगे ले जाने और स्थिरता बनाए रखने वाला उम्मीदवार माना जा रहा है। उन्होंने अपने नॉमिनेशन में भी यह बात दोहराई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि 'कोरोनावायरस के इस संकट के बीच हम देश में इतना बड़ा राजनीतिक खालीपन नहीं रहने दे सकते। इस संकट से देश को निकालने और जापानी लोगों को सुरक्षा की भावना देने के लिए हमें प्रधानमंत्री आबे के कामों को आगे बढ़ाते रहना होगा। यह मेरा मिशन है।'

उनकी उम्मीदवारी को जापान में स्थिरता का प्रतीक माना जा रहा है, ऐसे में नॉमिनेशन के पहले ही उनको अहम राजनीतिक हलकों से समर्थन मिल गया था।

बता दें कि शिंज़ो आबे ने अगस्त के अंत में घोषणा की थी कि वो अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। उनको ulcerative colitis की समस्या है, जिससे कि अब उनका पद पर बने रहना मुश्किल होता जा रहा है। अभी उनके कार्यकाल में एक साल बचे थे।

2. होम्योपैथी आयोग और भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग विधेयक पर संसद की मुहर

मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा ने आज सोमवार को राष्ट्रीय भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग विधेयक-2020 और राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग विधेयक-2020 को पारित कर दिया। दोनों विधेयक राज्यसभा में पहले ही पारित हो चुके हैं।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दोनों विधेयकों को लोकसभा में विचार के लिए एकसाथ पेश किया। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों के पारित होने के बाद केंद्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति परिषद् की जगह राष्ट्रीय भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग और केंद्रीय होम्योपैथी परिषद् की जगह राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग का गठन किया जा सकेगा। दोनों परिषदें अपनी जिम्मेदारियों को नहीं निभा पा रही थीं। वे भ्रष्टाचार से प्रभावित हो गई थीं, इसलिए उनकी जगह पर आयोगों का गठन जरूरी हो गया था। इससे दोनों चिकित्सा प्रणालियां अधिक प्रगति और अधिक पारदर्शिता के पथ पर बढ़ सकेंगी।

विपक्ष के कुछ सदस्यों ने विधेयकों में कुछ संशोधनों की मांग की, लेकिन कुल मिलाकर इनका समर्थन किया। कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग से जुड़े विधेयक में योग और प्राकृतिक चिकित्सा को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने आयोग से जुड़ीं शिकायतों के लिए सुनवाई का अधिकार केंद्र सरकार को देने का विरोध करते हुए इसके लिए अपीलीय प्राधिकरण के गठन का प्रावधान विधेयक में शामिल करने की मांग की। थरूर ने विधेयक बिना किसी पात्रता के भी भारतीय चिकित्सा प्रणाली का उपचार करने का अधिकार देता है जिससे नीमहकीमी को बढ़ावा मिलेगा।

शिवसेना के अरविंद सावंत ने विधेयक का समर्थन करते हुए भारतीय चिकित्सा प्रणालियों और होम्योपैथी के चिकित्सकों को भी अंग्रेजी चिकित्सा प्रणाली के तहत उपचार करने देने की मांग की। उन्होंने कहा कि इन दोनों पद्धतियों से जुड़े संस्थानों के पंजीकरण को विनियमित करने की जरूरत है ताकि कुकुरमुत्तों की तरह इनके शिक्षण संस्थान न खुलने लगें। सदन ने दोनों विधेयकों को बिना किसी संशोधन के ध्वनिमत से पारित कर दिया।

इन आयोगों का उद्देश्य संबंधित चिकित्सा प्रणालियों को बढ़ावा देना और इन प्रणालियों के शिक्षण संस्थानों का विनियमन करना है। आयोग समय-समय पर इन शिक्षण की निगरानी और आकलन का काम भी करेगा।

राष्ट्रीय भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग में अध्यक्ष के अलावा 15 पदेन सदस्य और 23 अंशकालिक सदस्य होंगे। पदेन सदस्यों में आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, सिद्ध और सोवा-रिग्पा से जुड़े प्रतिष्ठित संस्थानों और बोर्डों के प्रमुख होंगे। अंशकालिक सदस्यों में 4 की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा और 19 सदस्यों की नियुक्ति राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा की जाएगी। अध्यक्ष तथा अंशकालिक सदस्यों का कार्यकाल अधिकतम 4 वर्ष का होगा।

राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग में अध्यक्ष के अलावा 7 पदेन सदस्य और 19 अंशकालिक सदस्य होंगे। पदेन सदस्यों में होम्योपैथी से जुड़े प्रतिष्ठित शिक्षण एवं शोध संस्थानों के प्रमुख और आयुष मंत्रालय में होम्योपैथी के प्रभारी होंगे। अंशकालिक सदस्यों में 3 की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा और 16 सदस्यों की नियुक्ति राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा की जाएगी। अध्यक्ष तथा अंशकालिक सदस्यों का कार्यकाल अधिकतम 4 वर्ष का होगा।

3. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री चनेश राम रथिया का Covid-19 से हुआ निधन

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री चनेश राम रथिया (Chanesh Ram Rathiya) का सोमवार की सुबह रायगढ़ के एक अस्पताल में कोविड-19 से निधन हो गया। एक स्वास्थ्य अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। राम रथिया 78 साल के थे। रायगढ़ के चीफ मेडिकल और हेल्थ ऑफिसर डॉक्टर एसएन केशरी ने बताया कि 'चनेश रथिया, उम्र से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित थे। कोरोनावायरस पॉजिटिव निकलने के बाद उन्हें शनिवार को एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका निधन सुबह 1 बजे के आसपास हुआ।'

बता दें कि चनेश रथिया उत्तरी छत्तीसगढ़ के प्रमुख आदिवासी नेता रहे हैं। वो सबसे पहले 1977 के अविभाजित मध्य प्रदेश के धर्मजयगढ़ विधानसभा क्षेत्र से चुनकर विधायक बने थे। इसके बाद वो इसी सीट से लगातार पांच बार जीते। मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार में पशुपालन मंत्री थे। इसके बाद वो साल 2000 में छत्तीसगढ़ के निर्माण के बाद अजीत जोगी की सरकार में 2000-03 के बीच खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रहे थे।

उनके बड़े बेटे लालजीत सिंह रथिया वर्तमान में छत्तीसगढ़ के तहत आने वाले धर्मजयगढ़ सीट से कांग्रेस के विधायक हैं। चनेश राम रथिया के परिवार में उनकी पत्नी दो बेटे और तीन बेटियां हैं।

उनके निधन के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शोक जताया है। उन्होंने एक ट्वीट कर लिखा कि 'पूर्व मंत्री और प्रमुख आदिवासी नेता चनेश राम रथिया जी के निधन की खबर सुनकर बहुत दुख हुआ। उन्हें हमेशा धर्मविजयगढ़ और पूरे राज्य में याद किया जाता रहेगा।'

4. 14 सितम्बर: राष्ट्रीय हिंदी दिवस

14 सितम्बर को प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य हिंदी भाषा को बढ़ावा देना है और हिंदी को मातृ भाषा के रूप में प्रसारित करना है।

राष्ट्रीय हिंदी दिवस

राष्ट्रीय हिंदी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर, 1949 को संविधान सभा ने हिंदी अनुच्छेद 343 के तहत भारत की आधिकारिक भाषा चुना था, हिंदी भाषा को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। संविधान में कुल 22 अनुसूचित भाषाएँ हैं। भारत में आधिकारिक रूप से हिंदी व अंग्रेजी को राजकीय कार्य के लिए उपयोग किया जाता है।

हिंदी भाषा

हिंदी भारत के प्रमुख भाषा है, देश की लगभग 40% जनसँख्या इस भाषा का उपयोग करती है। यह भारतीय-यूरोपीय भाषा परिवार की हिन्द-आर्य शाखा से सम्बंधित है। 2011 की जनसँख्या के अनुसार 43.63% भारतीय हिंदी भाषा का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं। भारत में हिंदी भाषा को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर बोला जाता है। इसके अलावा विश्व के कई अन्य देशों जैसे पाकिस्तान, मॉरिशस, त्रिनिदाद और सूरीनाम में भी हिंदी भाषा बोली जाती है। एशिया के बाद अंग्रेजी और फीजियन के साथ हिंदी फिजी की राष्ट्रीय भाषा भी है। फिजी में फिजी बात अथवा फिजी हिंदी बोली जाती है।

5. Coronavirus India Updates : भारत में कोविड-19 के मामले 48 लाख के पार, मृतक संख्या 79,722 हुई

Coronavirus India Updates : सुबह आठ बजे तक के अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, देश में संक्रमण के कुल मामलों की संख्या अब 48,46,427 पहुंच गई है जबकि पिछले 24 घंटे में इस महामारी से 1,136 और लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 79,722 हो गई है।

भारत में एक दिन में कोविड-19 के 92,071 नये मामले सामने आने के बाद सोमवार को संक्रमितों की कुल संख्या 48 लाख के पार पहुंच गई है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। इसके अनुसार 37.8 लाख से अधिक लोग ठीक हो चुके हैं, जिससे कोविड-19 महामारी से स्वस्थ होने की राष्ट्रीय दर सोमवार को 78 प्रतिशत हो गई। सुबह आठ बजे तक के अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, देश में संक्रमण के कुल मामलों की संख्या अब 48,46,427 पहुंच गई है जबकि पिछले 24 घंटे में इस महामारी से 1,136 और लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 79,722 हो गई है। मंत्रालय के अनुसार, कोविड-19 से मृत्यु दर घटकर 1.64 प्रतिशत हो गई है। आंकड़े के अनुसार, देश में अभी इस महामारी से पीड़ित 9,86,598 मरीजों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है जबकि 37,80,107 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। इस महामारी से मौत के 1,136 नये मामलों में से महाराष्ट्र में 416, कर्नाटक में 104, उत्तर प्रदेश में 80, तमिलनाडु में 74, पंजाब में 68, आंध्र प्रदेश में 66, पश्चिम बंगाल में 58, मध्य प्रदेश में 34, दिल्ली में 29, हरियाणा में 19, असम और छत्तीसगढ़ में 16-16, पुडुचेरी, राजस्थान और गुजरात में 15-15, केरल, बिहार और जम्मू कश्मीर में 14-14 और झारखंड तथा तेलंगाना में 13-13 मरीजों की मौत हुई है। आंकड़ों के अनुसार, उत्तराखंड में 12, ओडिशा में 10, त्रिपुरा में छह, गोवा और हिमाचल प्रदेश में चार-चार, सिक्किम में तीन जबकि चंडीगढ़, लद्दाख, मणिपुर और मेघालय में एक-एक मरीज की मौत हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 70 प्रतिशत से अधिक मौतें गंभीर बीमारियों के कारण हुई है।


6. योगी सरकार का बड़ा फैसला, UPSSF के गठन की अधिसूचना जारी की

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल (यूपीएसएसएफ) के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है। इस फोर्स को किसी की गिरफ्तारी के लिए वारंट की आवश्यकता नहीं होगी। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी के अनुसार, बल का कोई सदस्य किसी मजिस्ट्रेट के किसी आदेश के बिना तथा किसी वारंट के बिना किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है।

सुरक्षा बल को विशेष परिस्थितियों में बिना वारंट के तलाशी लेने और गिरफ्तारी करने का भी अधिकार दिया गया है। यूपी सरकार ने डीजीपी से इसके विधिवत गठन का रोडमैप तैयार करने को कहा है। अधिसूचना में बल के कार्यों, अधिकार क्षेत्र, और संगठनात्मक ढांचे का निर्धारण कर दिया गया है। सुरक्षा बल में एडीजी के अलावा आईजी, डीआईजी, समादेष्टा उप समादेष्टा व अन्य अधीनस्थ अधिकारियों की तैनाती होगी।

यूपीएसएसएफ से संबंधित मुख्य तथ्य

• इस बल के शुरुआत में पीएसी से पांच बटालियनों का गठन किया जाएगा। इसमें सीधी भर्ती का अधिकार उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड को दिया गया है।

• गृह विभाग के मुताबिक शुरुआत में सुरक्षा बल में 9919 जवान होंगे। इन पर एक वर्ष में 1747 करोड़ रुपये खर्च होना का अनुमान लगाया गया है।

• इस सुरक्षा बल का मुख्यालय लखनऊ में होगा। यूपीएसएसएफ के जवान की स्पेशल ट्रेनिंग कराई जाएगी।

• इन जवानों को ट्रेनिंग के बाद प्रदेश में मेट्रो रेल, एयरपोर्ट, औद्योगिक संस्थानों, बैंकों, वित्तीय संस्थानों, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, ऐतिहासिक, धार्मिक व तीर्थ स्थलों एवं अन्य संस्थानों व जिला न्यायालयों आदि की सुरक्षा में तैनात किया जाएगा।

• निजी औद्योगिक प्रतिष्ठान भी निर्धारित शुल्क जमा करके इस बल की सुरक्षा प्राप्त कर सकेंगे। विशेष परिस्थितियों में बल को बिना वारंट गिरफ्तार करने की शक्ति होगी।

• बल के सदस्य हमेशा ड्यूटी पर माने जाएंगे और प्रदेश के अंदर किसी स्थान पर किसी भी समय तैनाती किए जाने के योग्य होंगे।

मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट

अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि यह बल मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट होगा। पहले चरण में पीएसी की कुछ अवस्थापना सुविधाओं का सहयोग लेकर इसे आगे ले जाया जाएगा। प्रथम चरण में बल की आठ वाहिनियां गठित की जाएंगी।

पृष्ठभूमि

दरअसल, यूपी में अलग-अलग कोर्ट में हुई घटनाओं के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट बेंच ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार को स्पेशल फोर्स के गठन के आदेश दिए थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 26 जून 2020 को इस फोर्स के गठन की घोषणा की थी। इस फोर्स को प्रदेश की कानून-व्यवस्था को दुरुस्त रखने के काफी अधिकार मिले हैं। एडीजी स्तर का अधिकारी यूपीएसएसएफ का मुखिया होगा और इसका मुख्यालय लखनऊ में होगा। फोर्स को बिना किसी दबाव के काम करने के लिए अनेक असीमित अधिकार प्रदान किए गए हैं। प्रदेश की यह फोर्स अभूतपूर्व ताकतों से लैस होगी. प्रदेश में शुरुआत में यूपीएसएसएफ की पांच बटालियन गठित होंगी और इसके एडीजी अलग होंगे। यूपीएसएसएफ अलग अधिनियम के तहत काम करेगी।

7. जम्मू और कश्मीर के निवासियों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य बीमा

हाल ही में एक बड़ी घोषणा में, जम्मू और कश्मीर सरकार ने स्वास्थ्य योजना की घोषणा की जिसमें सरकार सार्वभौमिक स्वास्थ्य बीमा प्रदान करेगी।

मुख्य बिंदु

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा घोषित यह योजना केंद्र शासित प्रदेश के सभी निवासियों को कवर करेगी। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के संयोजन में उपराज्यपाल द्वारा कार्यान्वित यह योजना जम्मू और कश्मीर के सभी निवासियों को सार्वभौमिक स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करेगी।

कवर की गयी बीमारियां और खर्चे

इस योजना में शामिल पैकेज में कैंसर और गुर्दे की विफलता जैसी सभी महत्वपूर्ण बीमारियां शामिल हैं। COVID-19 भी हालिया योजना में शामिल है। ऑन्कोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी को भी इसमें कवर किया जाएगा। हाई-एंड हॉस्पिटलाईजेशन को भी कवर किया जाएगा। तीन दिन के प्री- हॉस्पिटलाईजेशन और पोस्ट-हॉस्पिटलाईजेशन के 15 दिन और अन्य प्रमुख खर्च जैसे, नैदानिक ​​देखभाल और दवा पर खर्च को भी कवर किया जाएगा। वर्तमान में, देश भर में लगभग 23,300 एमपैनलड अस्पताल हैं जहाँ लोग इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY)

वर्ष 2018 में सितंबर में शुरू की गई इस योजना को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवा तक मुफ्त पहुंच प्रदान करने के प्रयास में लॉन्च किया गया था। यह योजना 50 करोड़ गरीब और कमजोर भारतीय लोगों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गयी थी।

ABPMJAY की विशेषताएं

यह योजना एक चिकित्सा उपचार के लिए लाभार्थी को प्रति परिवार पांच लाख प्रदान करती है जिसका लाभ निजी अस्पतालों में भी लिया जा सकता है। परिवार के आकार, आयु या लिंग पर कोई प्रतिबंध नहीं है। इस योजना में प्री-हॉस्पिटलाईजेशन से लेकर पोस्ट- हॉस्पिटलाईजेशन के 15 दिन तक के खर्च शामिल हैं।

8. IPL-13 : राजस्थान रॉयल्स के युवा खिलाड़ियों के मेंटोर होंगे शेन वॉर्न

ऑस्ट्रेलिया के महान स्पिनर शेन वॉर्न को इंडियन प्रीमियर लीग टीम राजस्थान रॉयल्स ने मेंटोर भी नियुक्त किया है। इस तरह से वह फ्रेंचाइजी के ‘ब्रांड दूत’ की भूमिका के अलावा यह पद भी संभालेंगे।

वॉर्न 2008 में फ्रेंचाइजी के शुरू होने के समय से ही राजस्थान रॉयल्स से जुड़े हुए हैं और उन्होंने उसी शुरुआती वर्ष में टीम को इंडियन प्रीमियर लीग का एकमात्र खिताब भी दिलाया था।

टीम मेंटोर के तौर पर वॉर्न मुख्य कोच एंड्रयू मैकडोनाल्ड के साथ काम करेंगे। ये दोनों 2003-07 तक विक्टोरिया टीम के साथी भी रहे। वह फ्रेंचाइजी के क्रिकेट प्रमुख जुबिन भरूचा के साथ मिलकर यह काम करेंगे।

वॉर्न ने कहा, ‘अपनी दोहरी भूमिका के बारे में कहूं तो रॉयल्स के साथ होना हमेशा अच्छा अहसास है, मेरी टीम, मेरा परिवार। जिस फ्रेंचाइजी को मैं इतना प्यार करता हूं, उसके सभी स्तर पर काम करना रोमांच भरा होगा।’

9. मानसून सत्र: Article 370 निरस्त होने के बाद पहली बार संसद में शामिल हुए फारूक अब्दुल्ला

नेशनल कांफ्रेंस (National Conference) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में आर्टिकल 370 (Article) निरस्त होने के एक साल से अधिक समय के अंतराल के बाद पहली बार संसद के मानसून सत्र में भाग लिया। अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के उन नेताओं में से एक थे जिन्हें पिछले साल 5 अगस्त को केंद्र द्वारा आर्टिकल 370 को रद्द कर दिए जाने के बाद हिरासत में रखा गया था।

आरोपों पर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं अब्दुल्ला अब्दुल्ला इस सत्र में उन आरोपों पर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं कि जम्मू -कश्मीर में कुछ नेताओं को जम्मू-कश्मीर की स्थिति बदलने के बाद अवैध हिरासत में रखा गया है। लोकसभा कक्ष में कांग्रेस के शशि थरूर और मनीष तिवारी, राकांपा की सुप्रिया सुले, डीएमके के ए. राजा और मुथुवेल करुणानिधि कनिमोझी और अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) सहित वरिष्ठ नेताओं ने उनका स्वागत किया। वह विपक्षी बेंच की दूसरी पंक्ति में अपनी निर्धारित सीट पर बैठे।

कई विपक्षी नेताओं ने मांग की थी पिछले साल के शीतकालीन सत्र में आर्टिकल 370 निरस्त करने के दौरान, कई विपक्षी नेताओं ने मांग की थी कि अब्दुल्ला को संसद में उपस्थित होने की अनुमति दी जाए। अब्दुल्ला ने तब श्रीनगर में एक भावनात्मक साक्षात्कार में मीडिया से बात करते हुए कहा था कि उन्हें हिरासत से बाहर आने के लिए अपने घर का दरवाजा तोड़ना पड़ा था और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के इस दावे को खारिज कर दिया था कि वह (अब्दुल्ला) कही भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं।

श्रीनगर से लोकसभा सीट से सांसद फारूक अब्दुल्ला 2002 में जम्मू -कश्मीर से राज्यसभा के लिए चुने गए और 2009 में फिर से निर्वाचित हुए। उन्होंने मई 2009 में राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया और श्रीनगर से लोकसभा सीट जीती। अब्दुल्ला की उपस्थिति से पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) की हिरासत पर ध्यान केंद्रित होने की संभावना है। जबकि जम्मू-कश्मीर के अधिकांश मुख्यधारा के राजनीतिक नेताओं को रिहा कर दिया गया है, जिनमें फारूक और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला भी शामिल हैं, वहीं मुफ्ती को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत हिरासत में ही रखा गया है।

23 views0 comments

Comentários


bottom of page